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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 (Waqf Amendment Act) की कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट का यह फैसला देशभर में गहरी राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी बहस को जन्म दे रहा है।
🔹 मामला क्या है?
पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करते हुए नया वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 पेश किया था।
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इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को संपत्ति प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण और रजिस्ट्रेशन में और अधिक शक्तियाँ दी गई थीं।
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कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दलील दी कि यह कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा इससे समुदाय विशेष को अनुचित लाभ मिलेगा।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि—
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वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों से संवैधानिक समानता का उल्लंघन होने की आशंका है।
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कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के एकतरफा अधिग्रहण और पंजीकरण से जुड़े प्रावधानों पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया।
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कोर्ट ने केंद्र और संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है।
🔹 याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि—
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संशोधन अधिनियम से वक्फ बोर्ड को अत्यधिक शक्तियाँ मिल गई हैं।
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वक्फ संपत्ति को ‘असंदिग्ध’ मानकर बोर्ड के नाम दर्ज करने का प्रावधान न्यायसंगत नहीं है।
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इससे अन्य समुदायों की संपत्तियों पर भी असर पड़ सकता है।
🔹 केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि—
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यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए लाया गया है।
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वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और भ्रष्टाचार रोकने के लिए संशोधन आवश्यक था।
- सरकार ने भरोसा दिलाया कि अधिनियम से किसी अन्य समुदाय के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
🔹 राजनीतिक हलचल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
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कांग्रेस और अन्य दलों का कहना है कि सरकार ने यह कानून बिना पर्याप्त चर्चा के पास किया।
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वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शी निगरानी के लिए यह कानून जरूरी था।
🔹 सामाजिक असर
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मुस्लिम संगठनों ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और कहा कि न्यायपालिका ने निष्पक्ष रुख दिखाया।
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वहीं, कई सामाजिक संगठनों ने इसे धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था की जीत बताया।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला आने वाले दिनों में संपत्ति प्रबंधन और धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
🔹 आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।
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तब तक अधिनियम के विवादित प्रावधान लागू नहीं होंगे।
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इस बीच सभी पक्षों को लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
🔹 निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल कानूनी विवाद नहीं बल्कि भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना से भी जुड़ा है। वक्फ संपत्तियों और धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों को लेकर लंबे समय से विवाद रहे हैं। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगाई है, तो आने वाले समय में यह मुद्दा न केवल राजनीति बल्कि जनजीवन पर भी गहरा असर डालेगा।








