इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में नगर-परिसरों में एक बड़ा बदलाव किया गया है जब जयपुर नगर निगम (JMC) की मेयर सौम्या गुर्जर ने शहर के प्रमुख सेतु और सड़क-परिसरों के नाम बदलने का निर्णय लिया। अभी हाल-ही में घोषित इस निर्णय के तहत पहले ‘भारत जोड़ो सेतु’ नामक अंबेडकर सर्किल-सोडाला एलिवेटेड रोड को अब ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल सेतु’ के नाम से पुकारा जाएगा। इसके साथ ही मेयर ने करीब 40 अन्य सड़कों, पार्कों एवं चौराहों के नामों में भी बदलाव के निर्देश दिए हैं।
इस नाम परिवर्तक निर्णय को मेयर ने कहा है कि यह बदलाव देश के एकीकरण और सामाजिक समरसता को संवेदनशील रूप से दर्शाता है। उन्होंने बताया कि ‘भारत पहले से ही जुड़ा हुआ है’ — इसलिए इस सेतु का नाम पूर्व में ‘भारत जोड़ो’ रखा गया था, लेकिन अब इसे भारत के एक मजबूत संविधान-निर्माता एवं आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से संबोधित करना उपयुक्त हुआ है। पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर यह निर्णय लिया गया है।
नगर-निगम सूत्रों के मुताबिक, नाम-बदलाव की सूची में टोंक रोड पर स्थित एक प्रमुख खंड को ‘भैरोंसिंह शेखावत रोड’ का नाम दिया गया है। इसके साथ ही पार्कों में भी नए नामकरण किए गए हैं, जैसे कि सेंट्रल पार्क अब ‘शेखावत मेमोरियल पार्क’ के रूप में जाना जाएगा। यह नाम बदलने की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर राजनीतिक, सामाजिक और प्रतीक-परक बदलाव का संकेत देती है, जिसमें शहर के प्रतीक-स्थलों पर नई पहचान स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।
इस पहल के पीछे यह तर्क रखा गया है कि सार्वजनिक स्थलों, सड़कों और पुलों के नाम सिर्फ इकाई चीज़ें नहीं बल्कि नागरिकों की स्मृति, गौरव और शहर-पहचान से जुड़े होते हैं। जब नाम नए होते हैं, तो वे शहर-वासी और आने-वाले हर पर्यटक के लिए संकेत देते हैं कि यह स्थान किस व्यक्ति, किस घटनाक्रम या किस वैल्यू को समर्पित है। इस दृष्टि से, सरदार पटेल का नाम शहर में नए रूप से प्रतिष्ठित किया जाना शहरी राजनीति और प्रतीकात्मक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।
हालाँकि, इस निर्णय पर प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। सड़क-नाम बदलने के इस प्रस्ताव को कुछ नगर-परिषदायुक्त एवं पार्षदों ने समय-सारणी, बजट तथा पूर्व नामों की मैपिंग संबंधी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाते हुए देखा है। विशेष रूप से टोंक रोड पर शेखावत नामकरण पर अभी भी चर्चा चल रही है कि प्रस्ताव को कब-तक औपचारिक रूप दिया जाएगा और तत्काल प्रभाव कब से दिखेगा। एक समाचार अनुसार डिप्टी मेयर ने मेयर पर गिरफ्तारी और प्रस्ताव के प्रक्रिया में विलंब का आरोप लगाते हुए कहा है कि नामकरण प्रस्ताव काफी समय से लंबित था।
नाम-बदलाव के आदेश शहर के प्रमुख कार्यालयों तथा नगर-निगम की कार्यकारिणी समिति द्वारा जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है। स्थानीय निवासियों को यह ध्यान देना होगा कि नए नामों के बाद आधिकारिक दस्तावेज, दिशा-संचैप और ऑनलाइन मैपिंग में भी बदलाव हो सकते हैं — जैसे टैक्स बिल, नगर-निगम वाहनों की पंजीकरण, पार्किंग पता आदि।
इस तरह के बदलाव से नगर-परिसर में एक तरह से ‘ब्रांडिंग’ का नया अध्याय खुलने जा रहा है जहाँ जयपुर जैसे ऐतिहासिक एवं rapidly-growing शहर में सार्वजनिक नामों को आधुनिक प्रतीकों और समावेशी मूल्य-धाराओं के अनुरूप ढाला जा रहा है। हालांकि इसके साथ यह चुनौती भी आती है कि सामान्य नागरिकों के लिए सहजता बनी रहे — नए नामों के बाद यदि दिशाओं, वाहन-साइनबोर्ड्स या डिजिटल मैपिंग में भ्रम पैदा हो जाए तो सुधारात्मक कदम जरूरी होंगे।
अंततः यह कदम नगर-विकास, पहचान संरक्षण और सामाजिक-सांस्कृतिक संदेश की त्रिवेणी में सामने आया है। जयपुर के नवीन नामकरण-प्रकल्प से संकेत मिलता है कि शहर केवल अपनी पुरानी विरासत पर रहने वाला नहीं बल्कि बदलती-वैश्विक अपेक्षाओं और स्थानीय भाष्य को समाहित करता हुआ आगे बढ़ रहा है। नागरिकों, पर्यटकों और शहर-प्रशासन के बीच यह उम्मीद बनी है कि नाम भेजने के बाद इसे सरलता से अपनाया जाए और बदलाव का वास्तविक लाभ शहर के सामान्य परिवेश में दिखे।
यदि आप उन 40 स्थानों की पूरी सूची देखना चाहते हैं जिनके नाम बदले गए हैं, तो हम उसे भी जुटा सकते हैं और साथ ही इस बदलाव से जुड़े बजट-प्रभाव, मार्ग-निर्देशन संकेतों में बदलाव के विवरण भी प्रदान कर सकते हैं।








