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    सेवा क्षेत्र ने पकड़ी रफ्तार, अप्रैल में PMI पहुंचा 58.7, पटरी पर IIP ग्रोथ और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर।

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    HSBC के भारत के चीफ इकॉनोमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने का कहना है कि भारत के सर्विस सेक्टर की गतिविधियां पिछले महीने की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी हैं.

    भारत के सर्विस सेक्टर की गतिविधि में अप्रैल के महीने में मामूली सुधार देखा गया है. ये मुख्य रूप से नए ऑर्डर प्रवाह में तेजी से प्रेरित रहा. मंगलवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में ये बताया गया है कि मौसमी रूप से समायोजित HSBC इंडिया सेवा कारोबारी गतिविधि सूचकांक अप्रैल में 58.7 रहा, जो मार्च में 58.5 पर था. ये आंकड़ा इसके दीर्घकालिक औसत 54.2 से अधिक है. क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम का अर्थ संकुचन से होता है.

    HSBC के भारत के चीफ इकॉनोमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने का कहना है कि भारत के सर्विस सेक्टर की गतिविधियां पिछले महीने की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी हैं. मार्च में राहत मिलने के बाद नए निर्यात ऑर्डर में तेजी आई है, जो जुलाई 2024 के बाद सबसे तेज गति से बढ़ रहे हैं.

    अंतरराष्ट्रीय मांग से मिला फायदा
    प्रोडक्शन में समग्र विस्तार नए व्यवसाय में उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित रहा, जो 8 महीनों में संयुक्त रूप से सबसे अच्छा था. कई कंपनियों ने अनुकूल मांग की स्थिति और सफल विपणन प्रयासों का उल्लेख किया. इसके अलावा, भारतीय कंपनियों को अपनी सेवाओं के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय मांग से लाभ मिलना जारी रहा, जिसमें एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और अमेरिका को विशेष रूप से ताकत के स्रोत के रूप में उद्धृत किया गया. कुल मिलाकर, नए निर्यात ऑर्डर जुलाई 2024 के बाद से सबसे तेज गति से बढ़े.

    नये ऑर्डर तेजी की वजह से सेवा क्षेत्र कंपनियों ने अप्रैल में लगातार 35 वें महीने अपने कार्यबल की संख्या में इजाफा किया है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि कंपनियों ने ग्राहकों की बढ़ती मांग का लाभ उठाने के लिए पूर्णकालिक और अंशकालिक कर्मचारियों के साथ परिचालन क्षमता में वृद्धि की. मूल्य निर्धारण के मोर्चे पर, भारतीय सेवा कंपनियों ने अप्रैल के दौरान अपने औसत विक्रय मूल्यों में वृद्धि की क्योंकि वे ग्राहकों पर उच्च लागत का बोझ डालना चाहते थे.

    मुनाफे में हुआ सुधार
    सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘ शुल्क मुद्रास्फीति की दर ठोस रही जो मार्च की तुलना में अधिक थी और अपने दीर्घकालिक औसत से अधिक है.’’ HSBC के भारत के चीफ इकॉनोमिस्ट का कहना है कि लागत दबाव कम होने और शुल्क में तेजी से वृद्धि होने के कारण मुनाफे में सुधार हुआ. इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कम्पोजिट आउटपुट सूचकांक मार्च के 59.5 से बढ़कर अप्रैल में 59.7 हो गया.

    समग्र पीएमआई सूचकांक तुलनीय विनिर्माण व सेवा पीएमआई सूचकांकों का भारित औसत है. एचएसबीसी इंडिया सेवा पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 सेवा क्षेत्र की कंपनियों के समूह को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है.

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