




सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी यानी सीसीपीए की तरफ से अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत अन्य कंपनियों को बकायदा इस बारे में नोटिस जारी किया गया है और कहा गया है कि वे पाकिस्तानी झंडे और वहां के सामान को हटा लें.
पहलगाम की घटना के बाद बढ़े तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के एक्शन से पड़ोसी दुश्मन मुल्क पाकिस्तान पूरी तरह से बेदम हो चुका है. पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने के बाद अब उनके ऊपर आर्थिक प्रहार कर उसे और कमर तोड़ने की कोशिश की जा रही है. यही वजह है कि देश में पाकिस्तान के खिलाफ बायकॉट मुहिम अब और जोर पकड़ने लगी है.
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी यानी सीसीपीए की तरफ से अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत अन्य कंपनियों को बकायदा इस बारे में नोटिस जारी किया गया है और कहा गया है कि वे पाकिस्तानी झंडे और वहां के सामान को हटा लें.
बायकॉट पाक की मुहिम तेज
सीसीपीए का कहना है कि पाकिस्तान सामान और उसके झंडे का ई-कॉमर्स साइट्स पर बिकना खुलेआम बिक्री से जुड़े कानूनों का उल्लंघन है. ऐसे में उसे फौरन कंपनयों को हटा लेना चाहिए. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बकायदा अपने एक्स एकाउंट पर इस बारे में पोस्ट करते हुए उसे फौरन हटाने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सरकार की तरफ से नोटिस भेजा गया है. उन्होंने इसमें लिखा है कि ये असंवेदनशील चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएगा और देश का कानूनों का पालन करने के लिए सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया गया है.
पाकिस्तान के दोस्त तुर्की के खिलाफ भी मुहिम
कुछ इसी तरह का मुहिम पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की के खिलाफ भी देश में चल रहा है. भारत में लोग अब न सिर्फ तुर्किए के सामानों का बायकॉट क रहे हैं बल्कि वहां यात्रा करने से भी परहेज कर रहे हैं. इसके साथ ही, वे पर्यटन से भी किनारा करने की अपील कर रहे हैं. तुर्किए बॉयकाट का आह्वान लोग ऐसे वक्त पर कर रहे हैं जो रिकॉर्ड संख्या में भारतीय पर्यटक वहां पर जा रहे थे.
गौरतलब है कि साल 2009 में तुर्किए जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 55 हजार थी, जो दस साल के बाद 2019 में 2 लाख 30 हजार हो गई. पिछले साल यानी 2024 में भारत से तुर्किए जाने वालों की संख्या और बढ़कर 3 लाख 30 हजार 985 हो गई थी. व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव और चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि यात्रा बहिष्कार का तुर्की और अजरबैजान की इकोनॉमी पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता है. खासकर वहां के टूरिज्म सेक्टर को नुकसान पहुंचेगा.