




भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का नया लोन मंजूर किया था.
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के एक अरब डॉलर का नया लोन मंजूर कर दिया. इसकी आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है. यहां तक कि अमेरिका में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं. पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने आईएमएफ के इस कदम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की.
रुबिन ने एक अमेरिकी न्यूज मैग्जीन में लिखा, “जब व्हाइट हाउस दो परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव कम करने का प्रयास कर रहा था, उस समय आतंकवाद से ग्रस्त, चीन समर्थक को एक अरब डॉलर जारी करना केवल पाकिस्तान के लिए नहीं था; यह आईएमएफ की ओर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नाक में दम करने का मामला भी था.” उन्होंने कहा कि ट्रंप को ऐसी बर्बादी, धोखाधड़ी या अनादर बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.
माइकल रुबिन ने आईएमएफ पर भी उठाए सवाल
टॉप ग्लोबल सिक्योरिटी एनालिस्ट रुबिन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका आईएमएफ को कोटा और पूरक वित्तपोषण दोनों में 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने फरवरी में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत विदेश मंत्री को 180 दिनों के भीतर उन सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अमेरिकी भागीदारी की समीक्षा करनी होगी जिनका अमेरिका सदस्य है और जो किसी भी प्रकार का वित्तपोषण करते हैं.
उन्होंने कहा, “आईएमएफ के खराब रिकॉर्ड और खासकर पाकिस्तान को दिए गए 25 लोन को देखते हुए, जिनमें से पिछले सप्ताह दिया गया लोन भी शामिल है, विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इतना लंबा इंतजार भी नहीं करना चाहिए.”
डोनाल्ड ट्रंप बंद करवा सकते से बोलती बंद
उन्होंने ये भी कहा कि 100 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा की बचत करके डोनाल्ड ट्रंप उन लोगों की बोलती बंद करा सकते थे जो लोग कहते हैं कि फिजूलखर्जी कम कराने के नाम पर वो सिर्फ भ्रम फैला रहे हैं. आईएमएफ पाकिस्तान को पैसे देकर चीन की मदद कर रहा है और उसे राहत पहुंचा रहा है. वो आगे कहते हैं कि पाकिस्तान आज के समय में सिर्फ चीन पर निर्भर है. पाकिस्तान को ग्वादर पोर्ट का पैसा चुकाना होगा. सच ये है कि चीन पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर ने पाकिस्तान को 40 अरब डॉलर के घाटे में डाल दिया.