




भारत सरकार का ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम, 10 अरब डॉलर की लागत से खरीदे जाएंगे 112 ऑयल टैंकर, निर्माण सिर्फ देश में होगा।
भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत बनाने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब 2040 तक 112 नए क्रूड ऑयल टैंकर खरीदेगी, जिसकी कुल लागत लगभग ₹85,000 करोड़ (10 अरब डॉलर) होगी। इस कदम से भारत विदेशी जहाजों की निर्भरता से मुक्त होकर अपनी लॉजिस्टिक ताकत को भी मजबूत करेगा।
वर्तमान में भारत की अधिकांश सरकारी तेल कंपनियां कच्चे तेल की ढुलाई के लिए विदेशी टैंकरों पर निर्भर हैं। ये टैंकर न केवल किराए पर महंगे पड़ते हैं, बल्कि उनका रणनीतिक नियंत्रण भी भारत के हाथ में नहीं होता।
अब सरकार ‘मेक इन इंडिया’ के तहत एक ऐसी योजना ला रही है जिसमें ये सभी टैंकर देश में ही बनाए जाएंगे। शुरुआती चरण में 79 जहाज़ों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें से 30 मीडियम रेंज कैरियर होंगे। पहले 10 टैंकरों का ऑर्डर इसी महीने जारी होने की संभावना है।
क्यों ज़रूरी है भारत के लिए खुद के टैंकर?
भारत की पेट्रोलियम खपत तेज़ी से बढ़ रही है और देश 2030 तक अपनी रिफाइनिंग क्षमता को 450 मिलियन टन तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है। ऐसे में टैंकरों पर नियंत्रण होना रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम हो जाता है।
फिलहाल भारत के पास मौजूद टैंकरों में से सिर्फ 5% ही स्वदेशी हैं। सरकार का लक्ष्य है कि यह आंकड़ा 2030 तक 7% और 2047 तक 69% तक पहुंचाया जाए।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बूस्ट
इस योजना के तहत निर्माण कार्य सिर्फ भारतीय शिपयार्ड्स में होगा। इससे देश की शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा और लाखों नए रोजगार भी सृजित होंगे। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी गति देगी।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा का नया युग
सरकार का यह कदम भारत को विदेशी टैंकरों की मोहताजगी से मुक्ति दिलाएगा और देश की ऊर्जा आपूर्ति को स्थायित्व प्रदान करेगा। अब पेट्रोलियम उत्पादों का नियंत्रण भारतीय टैंकरों और नीति से होगा, जो किसी भी वैश्विक संकट के समय भारत को मज़बूती देगा।
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