




इस्लामाबाद/कराची: पाकिस्तान में एक बार फिर तख्तापलट की आहट सुनाई दे रही है। सिंध प्रांत में भड़की जबरदस्त हिंसा के चलते वहां के गृहमंत्री जियाउल हसन लांजर का घर जला दिया गया है। स्थानीय लोग पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाए जा रहे चोलिस्तान प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, जिसकी वजह से सिंध में पानी की भारी किल्लत हो रही है।
इस बगावत के बीच पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर का प्रमोशन होकर फील्ड मार्शल बनाए जाने से सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह सब तख्तापलट की तैयारी है?
क्या है चोलिस्तान प्रोजेक्ट और क्यों फैली हिंसा?
साल 2023 में ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत शुरू किए गए चोलिस्तान प्रोजेक्ट का मकसद था चोलिस्तान के रेगिस्तान को हरा-भरा बनाना। इस परियोजना में 945 अरब रुपये खर्च कर सेना द्वारा 176 किलोमीटर लंबी नहरें बनाई जा रही हैं, जिससे सिंधु नदी से पानी लेकर पंजाब भेजा जाएगा। इससे सिंध के लोगों को पानी मिलना और भी मुश्किल हो गया है।
सिंध के लोग क्यों हुए बेकाबू?
सिंध पहले से ही पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है और अब इस प्रोजेक्ट की वजह से हालात और बिगड़ गए हैं। लोगों ने गुस्से में गृहमंत्री जियाउल हसन लांजर का घर जला दिया, कई जगहों पर प्रदर्शन और झड़पें जारी हैं।
सेना के बढ़ते दखल का क्या मतलब?
पाकिस्तान में सेना पहले ही राजनीति, बिजनेस, खेती, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट में दखल देती रही है। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि आर्मी चीफ आसिम मुनीर, जो अब फील्ड मार्शल हैं, सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से मिलिट्री कोर्ट में सजा देने का अधिकार भी पा चुके हैं।
क्या तख्तापलट की तरफ बढ़ रहा है पाकिस्तान?
ऐसे हालात में जब सेना के पास सत्ता, संसाधन और न्याय व्यवस्था तक पहुंच है, और जब सिंध जैसे बड़े सूबे में विरोध को दबाने के लिए आर्मी को खुली छूट मिलती दिख रही है, तब सवाल उठता है कि क्या यह सब मार्शल लॉ की भूमिका है?
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह जनरल अयूब खान के दौर की तरह एक और तख्तापलट का ट्रेलर हो सकता है। पाकिस्तान में पहले भी कई बार सेना ने सत्ता हथियाई है और अब आसिम मुनीर वही रास्ता अपना सकते हैं।
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