




दो दशक में पहली बार घाटे में आया IndusInd Bank, आंतरिक रिपोर्ट में कर्मचारियों की बड़ी भूमिका उजागर।
नई दिल्ली: IndusInd Bank को वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में भारी घाटा हुआ है। बैंक को इस दौरान ₹2,236 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में बैंक ने ₹2,347 करोड़ का मुनाफा कमाया था। बैंक के इतिहास में 18 वर्षों में यह पहला मौका है जब उसने किसी तिमाही में नुकसान दर्ज किया है।
फर्जीवाड़ा बना घाटे की वजह
बैंक ने इस घाटे के पीछे कर्मचारियों द्वारा की गई गड़बड़ियों और वित्तीय अनियमितताओं को जिम्मेदार बताया है। इंडसइंड बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ कर्मचारियों ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग और माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में गलत तरीके से लेखांकन किया, जिससे वित्तीय नुकसान हुआ।
बड़े फर्जीवाड़े की टाइमलाइन:
१. डेरिवेटिव ट्रेडिंग में लेखांकन गड़बड़ी के कारण ₹1,966 करोड़ का नुकसान हुआ।
२.’माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में ₹684 करोड़ की राशि को तीन तिमाहियों में गलत तरीके से ब्याज आय के रूप में दर्शाया गया।
३. इस राशि को जनवरी 2025 में वापस (रिवर्स) कर दिया गया।
बोर्ड और प्रबंधन ने मानी चूक
बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने माना कि आंतरिक नियंत्रण में गंभीर खामियां थीं। उन्होंने कहा कि प्रबंधन सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
शीर्ष अधिकारियों ने दिया इस्तीफा
इस फर्जीवाड़े और लेखांकन की गड़बड़ियों के चलते:
१. सीईओ सुमंत कठपालिया
२. डिप्टी सीईओ अरुण खुराना
३. दोनों ने 29 अप्रैल 2025 को इस्तीफा दे दिया।
बही-खातों की जांच में PWC की नियुक्ति
बैंक ने बही-खातों के लेखा परीक्षण और वित्तीय प्रभाव के मूल्यांकन के लिए बाहरी ऑडिट एजेंसी PwC को नियुक्त किया है।
PwC की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून 2024 तक बैंक पर ₹1,979 करोड़ का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
बाजार और निवेशकों पर असर
१. बैंक की नेटवर्थ पर 2.35% का नकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है।
२. निवेशकों और नियामकों के बीच भरोसा बहाली एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
३. Q4 के नतीजों में सभी विसंगतियों को शामिल कर लिया गया है।
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