




चीन ने 35 रेयर अर्थ आयातकों को रोक दिया सप्लाई देना, इलेक्ट्रिक व्हीकल और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर मंडरा रहा बड़ा खतरा।
चीन की ओर से दुर्लभ खनिजों (Rare Earth) की आपूर्ति पर रोक लगाए जाने से भारत सहित दुनिया की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है। चीन ने अप्रैल 2025 में अचानक 35 रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात को रोकते हुए कंपनियों के नए आयात आवेदनों को मंजूरी नहीं दी, जिससे भारत की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ा है।
चीन का बड़ा कदम और वैश्विक असर
चार अप्रैल 2025 को चीन ने 35 प्रकार के रेयर अर्थ खनिजों के आयातकों को सप्लाई देने से इनकार कर दिया। इन दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति में कटौती से सबसे ज्यादा प्रभाव इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), क्लीनटेक, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उत्पादों पर पड़ा है।
चीन ने 6 प्रमुख रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात को भी रोक दिया, जिससे दुनिया की कई बड़ी कंपनियों जैसे Bosch India, Continental इत्यादि के कामकाज पर असर पड़ा है।
भारत की ऑटो इंडस्ट्री पर सीधा प्रभाव
रेयर अर्थ की आपूर्ति रुकने से भारत की EV और पारंपरिक वाहन निर्माता कंपनियों को प्रोडक्शन में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। इन खनिजों का उपयोग मोटर मैग्नेट्स, बैटरियों और क्लाइमेट-फ्रेंडली टेक्नोलॉजीज** में होता है।
चीन की रेयर अर्थ पर मोनोपॉली
आज दुनिया के 90% रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन अकेले चीन करता है। यह स्थिति तब बनी जब अमेरिका, खासकर कैलिफोर्निया के माउंटेन पास में स्थित एक बड़ी माइन को 2002 में पर्यावरणीय कारणों से बंद करना पड़ा। इसके बाद चीन ने इस क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त बना ली।
भारत की रणनीति और संभावनाएं
भारत अब इस संकट से उबरने के लिए रेयर अर्थ माइनिंग और स्थानीय विकल्पों की खोज में जुट गया है। हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत “रेयर अर्थ से बने मैग्नेट्स के लिए वैकल्पिक स्रोत” विकसित करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। साथ ही, खनन से जुड़े अधिनियमों में भी बदलाव किए जा रहे हैं ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके।
ऐसी ही देश और दुनिया की बड़ी खबरों के लिए फॉलो करें: www.samacharwani.com