




अंतरराष्ट्रीय तनाव का असर भारत पर भी, व्यापार और तेल आपूर्ति पर मंडरा रहा संकट।
दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच मध्य पूर्व में ईरान और इज़रायल के बीच टकराव एक नया संकट बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में बिगड़ते हालात का सीधा असर वैश्विक व्यापार और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिखाई दे रहा है।
ईरान से तेल और व्यापार: भारत पर कितना निर्भर?
ईरान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक देश है। 2023 में उसने 2.4 बिलियन बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन किया। चीन की तरह भारत भी ईरान से कच्चा तेल और अन्य वस्तुएं आयात करता है, जिनमें सूखे मेवे, रसायन, कांच के बर्तन और दवाइयां शामिल हैं।
१. भारत की ओर से ईरान को बासमती चावल, चाय, कॉफी और चीनी जैसे उत्पाद निर्यात किए जाते हैं।
२. 2022-23 में भारत ने ईरान को लगभग 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया।
३. ईरान हर साल भारत से करीब 4 करोड़ किलो चाय और कुल 60 करोड़ डॉलर का व्यापार करता है।
अब व्यापार पर संकट
ईरान-इज़रायल तनाव के कारण भारत-ईरान व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है और इसके चलते भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे आम जनता पर सीधा असर होगा।
इज़रायल के साथ भी अरबों का व्यापार
भारत का इज़रायल के साथ भी मजबूत व्यापारिक रिश्ता है।
१. 2023 में भारत और इज़रायल के बीच लगभग ₹89,000 करोड़ का व्यापार हुआ।२. भारत ने इज़रायल को हीरे, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स, और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स भेजे,
२. जबकि इज़रायल से भारत ने सैन्य उपकरणों का आयात किया।
क्या होगा आम लोगों पर असर?
१. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्ट, खाद्य पदार्थ और रोज़मर्रा की वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
२. रुपये पर दबाव बढ़ सकता है जिससे विदेशी व्यापार महंगा पड़ेगा।
३. शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला तेज हो सकता है।
इसलिए मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए सरकार और निवेशकों के लिए सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है।
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