




ईरान-इजरायल युद्ध के बीच मेडिकल छात्र छिपे हैं बेसमेंट में, धमाकों और गोलियों की आवाजों से सहमे; भारतीय दूतावास से मदद की अपील।
तेहरान/नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच ईरान के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्र जान बचाने को मजबूर हैं। लगातार हो रही बमबारी और हवाई हमलों के बीच छात्र अपार्टमेंट के बेसमेंट में छिपकर दिन-रात गुजार रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल सहित भारत के कई हिस्सों से आए छात्रों ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द सुरक्षित निकासी (evacuation) की मांग की है।
“तीन दिन से सोए नहीं हैं… धमाके हर जगह हो रहे हैं”
तेहरान की शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे कश्मीर के छात्र इम्तिसाल मोहिदीन ने कहा, “शुक्रवार रात 2:30 बजे जोरदार धमाके की आवाज से नींद खुली। यूनिवर्सिटी के पास ही विस्फोट हुआ। हम तब से बेसमेंट में छिपे हुए हैं।”
यह यूनिवर्सिटी अकेले ही 350 से ज्यादा भारतीय छात्रों की शरणस्थली है, जहां अब क्लासेस रद्द हो चुकी हैं और बाहर निकलने की मनाही है।
“हम डॉक्टर बनने आए थे, अब जान बचा रहे हैं”
किरमान यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे श्रीनगर निवासी फैज़ान नबी कहते हैं, “हमें 3-4 दिन का पानी स्टोर करने के लिए कहा गया है। इंटरनेट इतना कमजोर है कि माता-पिता को ठीक से मैसेज तक नहीं कर पा रहा। अब बस सुरक्षित घर लौटने की उम्मीद है।”
भारतीय दूतावास की एडवाइजरी
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने सभी नागरिकों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी है। साथ ही एक टेलीग्राम लिंक और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं ताकि समय-समय पर अपडेट मिलते रहें। हालांकि छात्रों का कहना है कि केवल मैसेज और एडवाइजरी से अब राहत नहीं मिल रही।
“सबसे डरावनी रात थी…”
ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में चौथे वर्ष की छात्रा मिधात ने कहा, “पहले धमाके की रात सबसे डरावनी थी। ऐसा लगा जैसे सब कुछ हमारे आसपास ही हो रहा हो। यूनिवर्सिटी से ज्यादा सहयोग नहीं मिला, अब हम अपार्टमेंट के कमरे में बंद हैं।”
सीमित हवाई क्षेत्र, कब होगा रेस्क्यू?
बमबारी, इंटरनेट स्लो डाउन और सीमित हवाई क्षेत्र के कारण छात्रों को यह नहीं मालूम कि रेस्क्यू कब और कैसे होगा। उनका एक ही संदेश है – “भारत सरकार हमें जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाले, इससे पहले कि हालात और बिगड़ जाएं।”
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