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    छोटे से सफर की बड़ी उड़ान: आईटीआई छात्र से बने महाराष्ट्र के भरोसेमंद टर्नकी इंटीरियर एक्सपर्ट, जानिए विवेक वर्पे की प्रेरणादायक कहानी।

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    सातारा के विवेक नथुराम वर्पे ने ‘जागृति क्रिएशन्स’ के जरिए साबित किया कि दृढ़ निश्चय, हुनर और आत्मविश्वास से कोई भी ऊंचाई पाई जा सकती है।

    श्री विवेक वर्पे, फाउंडर एंड ओनर ऑफ़ जागृति क्रिएशन्स

    महाराष्ट्र के सातारा जिले से निकलकर ‘जागृति क्रिएशन्स’ का नाम आज टर्नकी इंटीरियर और स्ट्रक्चरल सॉल्यूशन के क्षेत्र में एक भरोसेमंद ब्रांड बन चुका है। इसके पीछे हैं विवेक नथुराम वर्पे, जिन्होंने 10वीं के बाद आईटीआई की पढ़ाई पूरी की और 1995 में नौकरी छोड़ कर यह ठान लिया –
    भूखा रह लूंगा, पर नौकरी नहीं करूंगा।”

    यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

    शुरुआत छोटे कामों से, बढ़ते गए अपने दम पर
    नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल और प्लंबिंग जैसे छोटे कामों से शुरुआत की। कुछ समय बाद एक परिचित इंटीरियर कॉन्ट्रैक्टर श्री शिंदे के साथ काम करने का मौका मिला। यहीं से उनके करियर ने नई दिशा पकड़ी।

    प्रोजेक्ट्स मिलने लगे, लेकिन गुणवत्ता और फिनिशिंग से संतुष्ट न होने के कारण उन्होंने पेशेवर इंटीरियर डिज़ाइनर्स के साथ काम करना शुरू किया। साथ ही वॉटरप्रूफिंग का प्रशिक्षण भी लिया, जिससे उनके प्रोजेक्ट्स और मजबूत और तकनीकी रूप से सशक्त बने।

    प्रोफेशनल टीम और आधुनिक मशीनरी का संगम
    आज ‘जागृति क्रिएशन्स’ के पास एक कुशल टीम है जिसमें अकाउंटेंट, लीगल एडवाइजर, वास्तु कंसल्टेंट, वेब और आईटी एक्सपर्ट शामिल हैं। उनके पास GST पंजीकरण, ईएसआईसी, पीएफ, ब्रांड लोगो और कंपनी रजिस्ट्रेशन जैसी सभी औपचारिकताएं पूरी हैं।

    महाराष्ट्र से बाहर तक फैला काम
    सातारा से शुरू होकर अब यह कंपनी मुंबई, पुणे, नासिक, औरंगाबाद सहित मध्यप्रदेश, राजस्थान तक टर्नकी प्रोजेक्ट्स पूरे कर चुकी है। आज विवेक वर्पे की कंपनी किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को समय से पहले और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने की क्षमता रखती है।

    उनका आत्मविश्वास बताता है:
    हम कितने भी बड़े प्रोजेक्ट को करने के लिए तैयार हैं – हमारे पास तकनीकी स्टाफ, मशीनरी और अनुभव की कमी नहीं है।”

    युवाओं के लिए प्रेरणा
    विवेक वर्पे की कहानी एक मिसाल है उन युवाओं के लिए जो अपने सपनों को सच करने का हौसला रखते हैं। उन्होंने दिखाया कि सीमित संसाधनों से भी अनलिमिटेड सफलता हासिल की जा सकती है, बस ज़रूरत है – विश्वास, प्रयास और निरंतर सुधार की।

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