




BCCI और ECB ने खिलाड़ियों को NOC न देने का फैसला किया, ऑस्ट्रेलिया ने दिखाया समर्थन, सऊदी अरब की ग्रैंड-स्लैम जैसी टी20 लीग से बढ़ी टेंशन।
नई दिल्ली, 26 जून 2025: क्रिकेट की दुनिया में एक नई क्रांति या टकराव की शुरुआत होने वाली है। सऊदी अरब ने लगभग 34 अरब रुपये (400 मिलियन डॉलर) की भारी-भरकम लागत से एक नई ग्लोबल टी20 सुपर-लीग की योजना बनाई है, जिससे IPL और द हंड्रेड जैसी पहले से स्थापित लीगों को तगड़ा झटका लग सकता है।
इस प्रस्तावित लीग को लेकर भारत और इंग्लैंड ने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है, वहीं ऑस्ट्रेलिया ने इस लीग में साझेदारी के संकेत दिए हैं।
क्या है इस नई टी20 लीग का पूरा प्लान?
SRJ Sports Investments नामक कंपनी इस नई इंटरनेशनल टी20 लीग को लॉन्च करने जा रही है, जिसमें:
१. कुल 8 टीमें होंगी
२. हर साल चार प्रमुख टूर्नामेंट अलग-अलग स्थानों पर खेले जाएंगे
३. टेनिस ग्रैंड स्लैम की तर्ज पर इसका फॉर्मेट होगा
४. कुल निवेश: 400 मिलियन डॉलर (₹3442 करोड़ रुपये)
५. इस लीग में भारी प्राइज मनी और ग्लोबल ब्रॉडकास्टिंग मॉडल होगा, जिससे यह दुनिया की सबसे महंगी टी20 लीग बन सकती है।
भारत और इंग्लैंड का विरोध
‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में लॉर्ड्स में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के दौरान BCCI और ECB के शीर्ष अधिकारियों के बीच बातचीत हुई, जिसमें यह तय किया गया कि:
१. भारतीय और इंग्लिश खिलाड़ियों को NOC नहीं दिया जाएगा
२. ICC पर दबाव बनाया जाएगा कि वह इस लीग को अधिकारिक मान्यता न दे
३. इस लीग से मौजूदा क्रिकेट ढांचे को कमज़ोर करने की कोशिश मानी जा रही है
४. BCCI और ECB को इस बात की चिंता है कि इतनी मोटी कमाई वाली लीग, खिलाड़ियों को अपने देश की लीगों और इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर कर सकती है।
ऑस्ट्रेलिया का अलग रुख
जहां भारत और इंग्लैंड इस प्रस्तावित लीग का विरोध कर रहे हैं, वहीं क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) इस लीग में सऊदी निवेशकों के साथ साझेदारी के लिए तैयार है।
ऑस्ट्रेलिया इस लीग को एक अवसर मान रहा है, जिससे वे प्राइवेट निवेश के ज़रिए क्रिकेट में नया बिजनेस मॉडल विकसित कर सकें। अभी तक Big Bash League (BBL) पूरी तरह सरकारी गवर्निंग बॉडी और राज्य संघों के तहत संचालित होती है।
IPL और द हंड्रेड पर असर तय
सऊदी अरब की लीग के लॉन्च होते ही:
१. IPL को टॉप खिलाड़ियों की उपलब्धता में परेशानी हो सकती है
२. द हंड्रेड जैसे छोटे फॉर्मेट पर भी दर्शकों और ब्रॉडकास्टर्स का ध्यान हट सकता है
३. इंटरनेशनल क्रिकेट के कैलेंडर पर कॉमर्शियल दबाव बढ़ जाएगा
४. ऐसे में यह लीग केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि क्रिकेट के पारंपरिक ढांचे के लिए चुनौती बनकर सामने आ सकती है।
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