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    भारतीयों का डीएनए 4 लाख साल पुरानी नस्ल से जुड़ा, AIMs और UC बर्कले के शोध में बड़ा खुलासा।

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    भारतीयों की आनुवंशिक जड़ें नवपाषाण काल के इरानी किसान, स्टेपी के पशुपालक और आदिवासी शिकारी समुदायों से जुड़ी; निएंडरथल और डेनिसोवन डीएनए भी मौजूद।

    4 लाख साल पुराना डीएनए कनेक्शन मिला भारतीयों में
    AIIMS दिल्ली और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले के वैज्ञानिकों ने भारतीयों की उत्पत्ति को लेकर किया गया शोध पूरा कर लिया है। इस शोध में पता चला है कि आज के भारतीयों की आनुवंशिक बनावट में इरानी किसान, युरेशियन स्टेपी के पशुपालक और दक्षिण एशिया के आदिवासी शिकारी समुदायों का डीएनए शामिल है।

    यह शोध प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल ‘Cell’ में प्रकाशित हुआ है, जो भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और जैविक इतिहास पर नई रोशनी डालता है।

    किसका डीएनए बहता है भारतीयों की नसों में?
    शोधकर्ताओं के अनुसार:
    १. नवपाषाण युग में कृषि की शुरुआत करने वाले इरानी किसान
    २. मध्य एशिया से आए स्टेपी पशुपालक
    ३. और दक्षिण एशिया के स्थानीय शिकारी जनजाति
    ४. इन तीन प्रमुख समूहों की आनुवंशिक संरचना मिलकर आज के भारतीयों की जीन रचना बनाती है

    सबसे अधिक जेनेटिक विविधता भारतीयों में
    शोधकर्ता प्रिया मूरजानी (UC Berkeley) ने बताया कि गैर-अफ्रीकी आबादी में भारतीयों में सबसे ज्यादा आनुवंशिक विविधता पाई जाती है। हजारों वर्षों में हुए आवासीय बदलाव, सामाजिक ढांचे, और मिश्रित संबंधों के कारण भारतीयों का डीएनए सबसे जटिल और समृद्ध बन गया है।

    निएंडरथल और डेनिसोवन डीएनए की भी पुष्टि
    १. शोध में यह भी पता चला है कि भारतीयों की आधुनिक जीन संरचना में निएंडरथल और डेनिसोवन मानव प्रजातियों के जीन भी शामिल हैं।
    २. निएंडरथल: 40,000 से 400,000 वर्ष पहले मध्य एशिया में पाए जाते थे।
    ३. डेनिसोवन: 20,000 से 50,000 वर्ष पहले एशिया में मौजूद एक अन्य प्राचीन मानव प्रजाति।
    ४. शोधकर्ता लॉरिट्स स्कोव के अनुसार, 50% निएंडरथल और 20% डेनिसोवन डीएनए भारतीय नमूनों में फिर से संरचित किया गया है।

    इस शोध का आधुनिक स्वास्थ्य पर क्या असर?
    शोधकर्ताओं का मानना है कि यह आनुवंशिक जानकारी हमें भारतीयों की:
    १. बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता,
    २. रोग प्रतिरोधक क्षमता,
    ३. और ड्रग रिस्पॉन्स पैटर्न को बेहतर समझने में मदद करेगी।
    ४. इस आधार पर भविष्य में भारत के लिए व्यक्तिगत और प्रभावी स्वास्थ्य समाधान विकसित किए जा सकते हैं।

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