




तीसरे दौर की वार्ता पर टिकी दोनों देशों की नजरें, पेस्कोव बोले- “जल्द ही सहमति बन सकती है”.
Rusia&Ukrain War: करीब तीन साल से जारी रूस और यूक्रेन के बीच खूनी संघर्ष अब शांति के रास्ते की ओर बढ़ता दिख रहा है। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय (क्रेमलिन) ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि दोनों देशों के बीच तीसरे दौर की वार्ता जल्द ही हो सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में अमेरिका और यूक्रेनी नेतृत्व की सहमति निर्णायक भूमिका निभाएगी।
पेस्कोव ने दी वार्ता की जानकारी
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “वार्ता प्रक्रिया पूरी तरह पारस्परिक सहमति पर आधारित है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही तीसरे दौर की बैठक की तारीख तय होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के मध्यस्थता प्रयास और कीव सरकार की भागीदारी से वार्ता की गति तय होगी।
अब तक क्या हुई है बातचीत?
पहली बैठक 16 मई को इस्तांबुल (तुर्किए) में हुई थी, जहां कैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी। दूसरी बैठक 2 जून को तुर्किए में आयोजित हुई, जिसमें 6000 यूक्रेनी सैनिकों के शवों की वापसी और 25 साल से कम उम्र के बीमार कैदियों की रिहाई पर सहमति बनी।
हालांकि, तीसरी वार्ता जून के आखिरी सप्ताह में प्रस्तावित थी, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण यह आयोजित नहीं हो सकी।
रूस की मुख्य मांगें क्या हैं?
रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रेमलिन ने संघर्ष विराम के लिए दो मुख्य प्रस्ताव दिए:
१. यूक्रेनी सेना को डोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों से हटना होगा।
२. अगले 100 दिनों के भीतर यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव कराने होंगे।
३. रूस इन चार क्षेत्रों को अपना हिस्सा मानता है, जबकि यूक्रेन इन मांगों को अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है।
जेलेंस्की का विरोध, अमेरिका पर नजर
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इन शर्तों को “आत्मसमर्पण” जैसा बता रहे हैं और रूस पर युद्ध को खींचने का आरोप लगा रहे हैं। उनके चीफ ऑफ स्टाफ आंद्रेई यरमाक ने कहा, “रूस युद्ध रोकने का ढोंग कर रहा है। नए प्रतिबंध जरूरी हैं।”
दूसरी तरफ, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस जमीनी सच्चाई के आधार पर युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार है।
एर्दोगन और ट्रंप की भूमिका
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ संपर्क में हैं और दोनों ही वार्ता प्रक्रिया में शामिल होने के इच्छुक हैं। इससे लगता है कि अमेरिकी भूमिका से वार्ता में नई गति आ सकती है।
क्या शांति संभव है?
हालांकि, क्रेमलिन के बयान आशावादी हैं, लेकिन यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता बरकरार है। अब सबकी नजर अगले कुछ दिनों पर है, जब तीसरे दौर की वार्ता की तारीख और एजेंडा तय हो सकते हैं।
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