




ग्रीस ने भारत से मांगी लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल, तुर्किए के सैन्य ठिकानों तक पहुंचेगी तबाही।
नई दिल्ली: पूर्व में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्किए के लिए भारत से आई ताजा खबर चिंता बढ़ाने वाली है। तुर्किए के पारंपरिक दुश्मन ग्रीस ने भारत से अत्याधुनिक लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LR-LACM) की डील की मांग की है। अगर यह सौदा होता है तो तुर्किए के खिलाफ ग्रीस की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह मिसाइल हाई-वैल्यू टारगेट्स जैसे एयरबेस, रडार स्टेशन और कमांड सेंटर को पूरी सटीकता के साथ तबाह करने में सक्षम है। यह मिसाइल रणनीतिक रूप से तुर्किए के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।
LR-LACM मिसाइल: जानें इसकी खासियतें
१. लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म: जमीन और समुद्र दोनों से लॉन्च हो सकती है। जमीन से लॉन्च होने पर इसकी रेंज 1500 किलोमीटर और नौसेना के जहाज से लॉन्च होने पर 1000 किलोमीटर तक होती है।
२. स्पीड: 864 से 1111 किलोमीटर प्रति घंटा तक।
३. रडार से बचाव: यह मिसाइल जमीन के बेहद करीब उड़ान भरती है, जिससे यह रडार की पकड़ में नहीं आती। अमेरिका की टॉमहॉक और रूस की कैलिबर मिसाइल की तरह इसे भी रडार पकड़ पाना मुश्किल है।
४. लॉन्चिंग तकनीक: इसे मोबाइल लॉन्चर और यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल से दागा जा सकता है।
५. इंजन: स्वदेशी ‘मनिक’ स्मॉल टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल, जिससे इसे लंबी दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता मिलती है।
तुर्किए के खिलाफ ग्रीस को मिलेगा सामरिक फायदा
तुर्किए और ग्रीस के बीच लंबे समय से भू-राजनीतिक तनाव रहा है। ऐसे में अगर भारत, ग्रीस को LR-LACM मिसाइल उपलब्ध कराता है तो ग्रीस के पास तुर्किए के अधिकांश हिस्सों को कवर करने की क्षमता होगी। इससे तुर्किए की सैन्य रणनीति पर बड़ा असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा भारत के लिए भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इससे भारत अपनी रक्षा तकनीक को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर पाएगा। साथ ही यह सौदा तुर्किए के उन प्रयासों का जवाब भी माना जा रहा है, जिसमें उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश की थी।
भारतीय नौसेना पहले ही कर चुकी है तैनाती
LR-LACM मिसाइल को भारतीय नौसेना के लगभग 30 युद्धपोतों पर पहले ही तैनात किया जा चुका है। भारत के पास इस मिसाइल के रूप में अपनी तटीय और समुद्री रक्षा को मजबूत करने का एक बेहद प्रभावी हथियार पहले से ही मौजूद है।
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