




कराची में हुआ रामायण का भव्य मंचन, मुस्लिम कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा; डायरेक्टर बोले—‘पाकिस्तान का समाज अपेक्षा से ज्यादा सहिष्णु।’
कराची: पाकिस्तान के कराची शहर में एक अनोखा और ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला, जब वहां के मुस्लिम कलाकारों ने रामायण का मंचन किया और मंच से ‘जय श्री राम’ के नारे गूंजे। यह आयोजन कराची के आर्ट्स काउंसिल में किया गया था, जिसे पाकिस्तानी नाटक मंडली ‘मौज ग्रुप’ ने पेश किया।
इस मंचन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का भी उपयोग किया गया, जिसने नाटक को और अधिक भव्य और प्रभावशाली बना दिया।
“रामायण का मंचन करना अद्भुत अनुभव”: डायरेक्टर योहेश्वर करेरा
योहेश्वर करेरा, जो इस रामायण के डायरेक्टर हैं, ने कहा, “मेरे लिए रामायण को मंच पर जीवंत करना एक अद्भुत दृश्य अनुभव है। यह दिखाता है कि पाकिस्तानी समाज जितना समझा जाता है, उससे कहीं अधिक सहिष्णु और कला-संवेदनशील है।”
करेरा ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें रामायण का मंचन करने को लेकर कभी कोई डर या धमकी का एहसास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि नाटक को दर्शकों और समीक्षकों दोनों की ओर से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
पाकिस्तानी फिल्म समीक्षकों ने की सराहना
पाकिस्तान के फिल्म समीक्षक ओमैर अलवी ने मंचन की भव्यता और प्रस्तुतिकरण की तारीफ करते हुए कहा, “रामायण की प्रस्तुति में लाइटिंग, संगीत, भाव और डिजाइन सभी कुछ बेमिसाल था। यह मंचन पूरी तरह से पेशेवर और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था।”
उन्होंने यह भी कहा कि रामायण एक ऐसी कथा है जो सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ती है।
सीता की भूमिका में नजर आईं राणा काजमी
रामायण में माता सीता की भूमिका निभाने वाली कलाकार राणा काजमी, जो पेशे से निर्माता भी हैं, ने कहा, “इस महान कथा को रंगमंच के ज़रिए जीवंत रूप में प्रस्तुत करना मेरे लिए गर्व की बात है। दर्शकों की प्रतिक्रिया से उत्साह और आत्मविश्वास दोनों बढ़ा है।”
भारत-पाक के रिश्तों में एक सांस्कृतिक पहल
पाकिस्तान में हिंदू पौराणिक कथाओं का मंचन, खासकर मुस्लिम कलाकारों द्वारा, एक सांस्कृतिक सद्भाव और सहिष्णुता की मिसाल है। यह आयोजन भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक पुल बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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