




नई दिल्ली: मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट से बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एक सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य बीजेपी नेताओं के नाम लेने का दबाव बनाया था।
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि मैं मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ और राम माधव जी का नाम लूं। मुझे प्रताड़ित किया गया, अस्पताल में अवैध हिरासत में रखा गया, फेफड़े तक खराब हो गए। उन्होंने मुझसे झूठ बुलवाने की कोशिश की, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया।”
NIA कोर्ट से राहत
31 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य सातों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा है। यह केस 2008 के मालेगांव ब्लास्ट से जुड़ा है, जिसमें 6 लोगों की मौत और 101 घायल हुए थे।
गवाह और पूर्व अधिकारी के भी आरोप
इससे पहले एक गवाह ने कोर्ट में बयान से पलटते हुए कहा था कि उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस से जुड़े नेताओं को फंसाने का दबाव डाला गया था। साथ ही एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने भी दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
क्या था मालेगांव ब्लास्ट केस?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में विस्फोटक लगाकर धमाका किया गया था। इस धमाके में 6 लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। एनआईए ने इस केस की जांच करते हुए 14 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से केवल सात पर चार्जशीट दायर हुई।