




भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आज सुबह तीन दिवसीय रूस दौरे पर रवाना हुए। यह यात्रा 19 से 21 अगस्त तक होगी और इसे भारत–रूस संबंधों के लिए एक अहम कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग को और गहरा करना है।
IRIGC-TEC की 26वीं बैठक
इस दौरे के दौरान डॉ. जयशंकर रूस में आयोजित होने वाली 26वीं भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग समिति (IRIGC-TEC) की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक 20 अगस्त को मॉस्को में होगी। इसमें ऊर्जा, विज्ञान एवं तकनीक, शिक्षा, कृषि और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा होगी।
रूसी विदेश मंत्री से अहम मुलाकात
जयशंकर का रूस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगा उनकी मुलाकात रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से। इस वार्ता में द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी बातचीत की जाएगी। विशेष रूप से यूक्रेन संघर्ष, ऊर्जा आपूर्ति, और एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता पर विचार-विमर्श होने की संभावना है।
अमेरिका के साथ तनाव के बीच दौरे का महत्व
यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर खींचतान चल रही है। ऐसे माहौल में जयशंकर की यह यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) और बहुपक्षीय कूटनीति को मजबूत करती है। भारत स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि वह किसी एक ध्रुव पर निर्भर नहीं है, बल्कि वैश्विक शक्ति समीकरणों में संतुलन बनाए रखना चाहता है।
ऊर्जा और रक्षा सहयोग
भारत-रूस संबंध दशकों से मजबूत रहे हैं, खासकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में। भारत रूस से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा संयंत्र, रक्षा उत्पादन और अंतरिक्ष तकनीक में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। जयशंकर का यह दौरा ऊर्जा सुरक्षा पर भी विशेष रूप से केंद्रित होगा, क्योंकि वैश्विक ऊर्जा संकट और मूल्य वृद्धि का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव
भारत और रूस BRICS, SCO, और G20 जैसे मंचों पर साझेदारी निभाते रहे हैं। जयशंकर की यह यात्रा इन बहुपक्षीय संस्थानों में भी सहयोग को और मज़बूत बनाने का प्रयास है। विशेष रूप से BRICS में ब्रिक्स बैंक और नई विकास परियोजनाओं को लेकर भारत और रूस के बीच तालमेल बढ़ाने की संभावना है।
पुतिन की भारत यात्रा की संभावना
रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष के अंत तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की यात्रा कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यह भारत-रूस संबंधों में एक नई गति प्रदान करेगा। जयशंकर की यह यात्रा उस उच्चस्तरीय मुलाकात के लिए आधार तैयार करने के रूप में देखी जा रही है।
भारत-रूस रिश्तों का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत और रूस (पूर्व सोवियत संघ) के संबंध दशकों पुराने हैं। 1971 की भारत-सोवियत शांति संधि हो या रूस द्वारा कठिन समय में भारत को दिया गया समर्थन, दोनों देशों के रिश्ते हमेशा विश्वास पर आधारित रहे हैं। आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में यह साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
दौरे से अपेक्षाएँ
-
आर्थिक लाभ – व्यापार बढ़ाने और नई निवेश योजनाओं पर सहमति।
-
रक्षा सहयोग – संयुक्त उत्पादन और रक्षा तकनीक में आगे बढ़ने की संभावनाएँ।
-
ऊर्जा सुरक्षा – तेल और गैस आपूर्ति के दीर्घकालिक समझौते।
-
शिक्षा और संस्कृति – छात्र विनिमय कार्यक्रम और सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
-
वैश्विक संतुलन – भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का सशक्त संदेश।
निष्कर्ष
डॉ. एस. जयशंकर का यह तीन दिवसीय रूस दौरा सिर्फ औपचारिक कूटनीति नहीं है, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है। यह यात्रा न केवल भारत-रूस संबंधों को नई ऊर्जा देगी बल्कि आने वाले महीनों में वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका को और मज़बूत करेगी।