




महाराष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दिलाने वाला क्षण आज मुंबई में देखने को मिला। मराठा साम्राज्य के महान सेनानायक रघुजी भोंसले की तलवार आज मुंबई पहुँची और इसे प्रभादेवी स्थित पीएल देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी में आम जनता के लिए प्रदर्शनी में रखा गया है। यह प्रदर्शनी 18 अगस्त से 25 अगस्त तक चलेगी।
ऐतिहासिक महत्व
रघुजी भोंसले नागपुर के शासक और मराठा साम्राज्य के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उनकी वीरता, रणनीति और नेतृत्व क्षमता ने मराठा साम्राज्य को कई क्षेत्रों में मज़बूत किया। उनके हाथों की यह तलवार सिर्फ़ एक हथियार नहीं बल्कि मराठा गौरव और शौर्य की पहचान है। इस तलवार का प्रदर्शन युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों और इतिहास से जोड़ने का एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
तलवार की भारत वापसी
यह तलवार लंबे समय से भारत से बाहर थी और महाराष्ट्र सरकार ने विशेष पहल कर इसे वापस लाने का काम किया। लगभग ₹45 करोड़ की लागत से खरीदी गई इस तलवार को मुंबई लाया गया है। राज्य के संस्कृति मंत्री आशीष शेलार ने इसे व्यक्तिगत रूप से रिसीव किया और प्रदर्शनी स्थल तक पहुँचाया।
मुख्यमंत्री का बयान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा,
“यह सिर्फ़ एक धरोहर नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, हमारी वीरता और हमारी पहचान का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि राज्य का हर नागरिक और खासकर युवा पीढ़ी इस ऐतिहासिक तलवार को देखे और अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा ले।”
प्रदर्शनी स्थल और कार्यक्रम
तलवार को पीएल देशपांडे कला अकादमी, प्रभादेवी में विशेष सुरक्षा व्यवस्था के साथ रखा गया है। प्रदर्शनी के लिए अलग से गैलरी तैयार की गई है जहाँ मराठा इतिहास से जुड़ी अन्य पेंटिंग्स और शस्त्रों की झलक भी देखने को मिलेगी।
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प्रदर्शनी की अवधि: 18–25 अगस्त 2025
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प्रवेश: आम जनता के लिए निशुल्क
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विशेष कार्यक्रम: प्रदर्शनी अवधि में मराठा इतिहास पर संगोष्ठियाँ, डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की जाएंगी।
नागपुर और अन्य शहरों में प्रदर्शन की योजना
राज्य सरकार की योजना है कि इस तलवार को आने वाले महीनों में नागपुर, पुणे और कोल्हापुर में भी प्रदर्शित किया जाए। नागपुर में भोंसले वंश का गहरा ऐतिहासिक संबंध है, इसलिए वहाँ विशेष कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है।
युवाओं में उत्साह
इस प्रदर्शनी को लेकर छात्रों और युवाओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने अपने छात्रों को समूह में प्रदर्शनी देखने लाने का निर्णय लिया है। युवाओं का मानना है कि यह तलवार केवल एक धरोहर नहीं बल्कि हमारे इतिहास की जीवित गवाही है।
सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रयास
महाराष्ट्र सरकार पिछले कुछ समय से राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों को संजोने और उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है। रघुजी भोंसले की तलवार को भारत वापस लाना इसी दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह कदम भविष्य में और भी कई धरोहरों को देश में वापस लाने की राह खोल सकता है।
मराठा गौरव दिवस की घोषणा की संभावना
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी चल रही है कि राज्य सरकार “मराठा गौरव दिवस” की घोषणा कर सकती है, ताकि इस धरोहर के आगमन को ऐतिहासिक महत्व दिया जा सके। यदि ऐसा होता है तो यह दिन हर साल युवाओं और नागरिकों को मराठा शौर्य और परंपरा की याद दिलाएगा।
निष्कर्ष
रघुजी भोंसले की तलवार का मुंबई में आगमन महज एक प्रदर्शनी नहीं बल्कि मराठा इतिहास और सांस्कृतिक गौरव का पुनर्जीवन है। यह तलवार आज की पीढ़ी को उनके अतीत से जोड़ने और भविष्य के लिए प्रेरित करने का काम करेगी। महाराष्ट्र सरकार का यह कदम आने वाले समय में राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।