




भारतीय क्रिकेट का इतिहास हमेशा उन खिलाड़ियों से भरा रहा है जिन्होंने उतार-चढ़ाव भरे करियर के बावजूद अपने खेल से शानदार वापसी की है। ऐसे ही खिलाड़ियों की सूची में अब एक और नाम मजबूती से जुड़ गया है – पृथ्वी शॉ। कभी भारतीय क्रिकेट के “नेक्स्ट विराट कोहली” कहे जाने वाले शॉ ने बीते कुछ वर्षों में जितना संघर्ष किया है, उतना शायद ही किसी युवा खिलाड़ी को झेलना पड़ा हो। लेकिन, बुची बाबू टूर्नामेंट 2025 में उनके शानदार शतक ने एक बार फिर क्रिकेट फैंस और चयनकर्ताओं का ध्यान उनकी ओर खींच लिया है।
चोट और विवादों से भरा कठिन सफर
पृथ्वी शॉ का क्रिकेट करियर शानदार शुरुआत के बाद अचानक उतार की ओर चला गया। 2018 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करते हुए उन्होंने शतक लगाया और सबको चौंका दिया। पर उसके बाद चोटें, फिटनेस संबंधी चुनौतियाँ और मैदान के बाहर के विवादों ने उन्हें टीम इंडिया से दूर कर दिया।
2023 में इंग्लैंड में खेले गए काउंटी क्रिकेट के दौरान भी उन्होंने बेहतरीन फॉर्म दिखाई थी, लेकिन घुटने की चोट ने उन्हें लंबे समय के लिए मैदान से बाहर कर दिया। इसी बीच टीम इंडिया में शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और ऋतुराज गायकवाड़ जैसे युवा बल्लेबाजों ने अपनी जगह मजबूत कर ली, जिससे शॉ के लिए वापसी का रास्ता और कठिन हो गया।
बुची बाबू टूर्नामेंट में धमाकेदार पारी
लंबे इंतजार के बाद जब शॉ ने चेन्नई में खेले जा रहे बुची बाबू टूर्नामेंट में मैदान पर वापसी की, तो सभी की निगाहें उन पर टिकी हुई थीं। और शॉ ने निराश नहीं किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के खिलाफ शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 114 गेंदों में 142 रनों की पारी खेली। इस पारी में चौकों और छक्कों की बरसात देखने को मिली और वही पुराने आक्रामक शॉ लौटते हुए नजर आए।
मैच के बाद उन्होंने कहा –
“मुझे किसी की सहानुभूति नहीं चाहिए। मैंने कभी भी आसान रास्ता नहीं चुना। मेरा काम केवल रन बनाना है और मैं अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया में वापसी करूंगा।”
टीम इंडिया में जगह बनाने की चुनौती
शॉ का यह शतक निश्चित रूप से चयनकर्ताओं के लिए एक मजबूत संदेश है, लेकिन टीम इंडिया में उनकी वापसी आसान नहीं होगी। फिलहाल भारत के पास ओपनिंग पोज़ीशन के लिए शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल जैसे युवा बल्लेबाज हैं। इसके अलावा केएल राहुल और रोहित शर्मा जैसे अनुभवी खिलाड़ी भी मौजूद हैं। ऐसे में शॉ को लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा, ताकि वे चयनकर्ताओं को मजबूर कर सकें।
मानसिक मजबूती की मिसाल
पृथ्वी शॉ की यह वापसी सिर्फ बल्लेबाज़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी मानसिक मजबूती का भी परिचय देती है। जब हर कोई उन्हें भुला चुका था, तब उन्होंने चुपचाप अपनी फिटनेस पर काम किया और रन बनाने के लिए खुद को तैयार किया।
पूर्व क्रिकेटर और कोच भी मानते हैं कि शॉ की प्रतिभा पर कभी शक नहीं रहा। समस्या सिर्फ उनके अनुशासन और फिटनेस को लेकर थी। लेकिन हालिया प्रदर्शन यह बताता है कि शॉ ने इन कमजोरियों पर काफी हद तक काबू पा लिया है।
सोशल मीडिया पर मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया
शॉ की इस पारी के बाद सोशल मीडिया पर फैंस ने जमकर उनकी तारीफ की। कई क्रिकेट प्रेमियों ने लिखा कि “टीम इंडिया को असली आक्रामक ओपनर मिल गया है“। वहीं कुछ ने यह भी कहा कि शॉ अगर लगातार इस तरह प्रदर्शन करते रहे, तो 2025 एशिया कप या फिर वर्ल्ड कप में उनकी जगह पक्की हो सकती है।
चयनकर्ताओं के लिए संकेत
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) और चयनकर्ताओं के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे शॉ जैसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज को कब और कैसे टीम में शामिल करें। हाल ही में घोषित एशिया कप 2025 टीम में शॉ का नाम नहीं था, लेकिन उनकी यह पारी संकेत देती है कि अगर वे घरेलू क्रिकेट में रन बनाते रहे, तो भविष्य में टीम का हिस्सा बनना तय है।
निष्कर्ष
पृथ्वी शॉ का यह शतक सिर्फ एक पारी नहीं है, बल्कि यह उनके करियर का एक नया अध्याय है। यह उन सभी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो चोट, विवाद या खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं। शॉ ने यह साबित कर दिया है कि यदि आप कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ वापसी करना चाहते हैं, तो कोई भी मुश्किल रास्ता रोक नहीं सकता।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट उनकी इस शानदार वापसी को कितनी जल्दी नोटिस करते हैं और क्या आने वाले टूर्नामेंट्स में उन्हें मौका मिलता है या नहीं। लेकिन एक बात तय है – पृथ्वी शॉ फिर से सुर्खियों में आ चुके हैं और इस बार उनका इरादा लंबे समय तक टिके रहने का है।