




ऑस्ट्रेलिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर बहस तेज हो गई है। नेशनल्स पार्टी के पूर्व डिप्टी प्रधानमंत्री और मौजूदा सांसद बार्नबी जॉइस ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में चेतावनी दी कि यह केवल विज्ञान कथा नहीं बल्कि एक कठोर यथार्थ है। उनके अनुसार, AI सबसे पहले क्लेरिकल और प्रशासनिक नौकरियों को प्रभावित करेगा और धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों तक इसका असर पहुँचेगा। यदि सरकार और समाज ने समय रहते कदम नहीं उठाए तो ऑस्ट्रेलियाई कार्यबल एक गंभीर संकट का सामना करेगा।
क्लेरिकल नौकरियाँ सबसे पहले खतरे में
जॉइस ने साफ शब्दों में कहा कि AI का पहला निशाना “कीबोर्ड-जॉब्स” होंगी। यानी डेटा एंट्री, प्रशासनिक सहायक, बहीखाता रखने, रिपोर्ट तैयार करने और स्प्रेडशीट व्यवस्थित करने जैसे कार्य।
उनका कहना है—
“AI मिथ नहीं है, यह पहले से ही हमारे आसपास मौजूद है। रिपोर्ट लिखना, डाटा व्यवस्थित करना और यहां तक कि निर्णय प्रक्रिया में योगदान देना—ये सब अब AI कर सकता है।”
जॉइस का तर्क है कि जो कर्मचारी केवल कंप्यूटर और कीबोर्ड तक सीमित हैं, उनकी नौकरियाँ सबसे पहले समाप्त होंगी। कारण स्पष्ट है—AI काम करेगा बिना बीमार पड़े, बिना वेतन वृद्धि की मांग किए, बिना ओवरटाइम के और बिना यूनियन संघर्ष के।
वर्क-फ्रॉम-होम पर मतभेद
ऑस्ट्रेलिया में महामारी के बाद से वर्क-फ्रॉम-होम (WFH) संस्कृति का विस्तार हुआ है। वर्तमान में 6.7 मिलियन यानी लगभग 46% कार्यबल कभी न कभी घर से काम करता है।
हालाँकि, जॉइस का मानना है कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि WFH नौकरियों को और अधिक AI-निर्भर बना देता है। उन्होंने कहा—
“यदि आपकी नौकरी केवल आप, एक कीबोर्ड और एक कंप्यूटर है, तो सावधान हो जाइए।”
दूसरी ओर, Australian Services Union ने कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए Fair Work Commission से मांग की है कि किसी भी बड़े बदलाव (जैसे WFH नीति) से पहले कम से कम छह महीने पूर्व सूचना दी जाए। लेकिन जॉइस इस विचार को अवास्तविक मानते हैं।
सुरक्षित हैं हाथों से जुड़ी नौकरियाँ
जॉइस ने यह भी स्पष्ट किया कि AI हर नौकरी को खत्म नहीं करेगा। कुछ क्षेत्रों में इंसानी हाथ-पैर की जरूरत बनी रहेगी।
प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी जैसे काम AI से सुरक्षित रहेंगे।
उन्होंने कहा—
“AI के पास हाथ नहीं हैं, पैर नहीं हैं। यह केवल सोच और विश्लेषण कर सकता है, लेकिन फिजिकल कार्य नहीं।”
इसलिए, ट्रेड सेक्टर को ऑस्ट्रेलिया के भविष्य के लिए सुरक्षित क्षेत्र माना जा सकता है।
विशेषज्ञों की राय: असर गहरा, पर समाधान संभव
AI को लेकर अन्य विशेषज्ञ भी गंभीर हैं, लेकिन उनका मानना है कि समाधान संभव है।
सोशल सर्विसेज मिनिस्टर तान्या प्लीबर्सेक ने कहा:
“AI के खतरे को स्वीकारना जरूरी है, लेकिन साथ ही हमें नए और उभरते उद्योगों में रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। ऑस्ट्रेलिया को केवल AI का उपभोक्ता नहीं रहना चाहिए बल्कि AI टूल्स विकसित करने वाला देश बनना चाहिए।”
Jobs and Skills Australia के कमिश्नर Barney Glover ने कहा कि नुकसान का पैमाना स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में दिखेगा—कानून से लेकर रिटेल, स्वास्थ्य से लेकर लॉजिस्टिक्स तक।
उन्होंने कहा—
“प्रश्न यह नहीं कि असर होगा या नहीं, बल्कि यह है कि कितनी तेजी से होगा।”
आँकड़े और अध्ययन
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विक्टोरिया यूनिवर्सिटी और ILO (International Labour Organization) के विश्लेषण के अनुसार, लगभग एक-तिहाई नौकरियाँ AI से स्वचालित हो सकती हैं।
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इनमें से सबसे अधिक जोखिम क्लेरिकल और प्रशासनिक नौकरियों को है।
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सर्वे के मुताबिक, करीब 46% ऑस्ट्रेलियाई कार्यबल किसी न किसी रूप में WFH करता है, जिससे तकनीकी प्रतिस्थापन का खतरा और बढ़ जाता है।
नीति और तैयारी के सुझाव
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शिक्षा और कौशल विकास पर जोर
भविष्य की नौकरियाँ वे होंगी जिनमें रचनात्मकता, निर्णय क्षमता और मानवीय स्पर्श आवश्यक होगा। शिक्षा व्यवस्था को इस दिशा में ढालना होगा। -
वोकेशनल और ट्रेड ट्रेनिंग
युवाओं को तकनीकी और फिजिकल ट्रेड क्षेत्रों (जैसे इलेक्ट्रिशियन, हेल्थकेयर, मेकैनिक्स) में प्रशिक्षित करना आवश्यक होगा। -
AI-रणनीति विकसित करना
ऑस्ट्रेलिया को केवल AI का ग्राहक नहीं बल्कि डेवलपर बनना होगा। इससे नए उद्योग और रोजगार पैदा होंगे। -
सुरक्षा नेट तैयार करना
उन कर्मचारियों के लिए पुनः प्रशिक्षण (retraining), वित्तीय सहायता और रोजगार पुनः आवंटन योजनाएँ बनानी होंगी जो AI से प्रभावित होंगे।
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