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    WBJEE 2025: टॉप रैंकर्स का रुझान IIT की ओर जारी, राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों पर असर Meta Description:

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    पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (WBJEE 2025) के परिणाम घोषित होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इस बार भी टॉप रैंकर्स का रुझान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) की ओर जारी है। पिछले कई वर्षों से देखने को मिल रहा है कि WBJEE में उच्च रैंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राएँ राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की बजाय IIT को प्राथमिकता देते हैं।

    इस रुझान ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या पश्चिम बंगाल के राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग कॉलेजों की आकर्षण शक्ति कम हो रही है और क्या उन्हें अपनी शिक्षा प्रणाली और प्लेसमेंट अवसरों को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

    WBJEE और IIT का रिश्ता

    WBJEE, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली एक प्रतिष्ठित परीक्षा है, जो राज्य के इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और फार्मेसी कॉलेजों में प्रवेश के लिए होती है। हर साल लाखों विद्यार्थी इस परीक्षा में बैठते हैं।

    लेकिन, जिन छात्रों को WBJEE में उच्च रैंक मिलती है, वे अक्सर IIT-JEE Advanced के जरिये IIT में दाखिला लेना पसंद करते हैं। इसका कारण है:

    • बेहतर प्लेसमेंट अवसर

    • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

    • अत्याधुनिक रिसर्च और लैब सुविधाएँ

    • विस्तृत पूर्व छात्र नेटवर्क

    टॉप रैंकर्स की पसंद: IIT

    इस साल WBJEE 2025 के टॉपर अमित घोष (AIR-1) ने कहा कि उनका सपना हमेशा से IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस पढ़ने का था। उन्होंने कहा:

    “WBJEE में टॉप करना गर्व की बात है, लेकिन IIT की डिग्री का अपना अलग ही मूल्य है। वहाँ का exposure और opportunities unmatched हैं।”

    इसी तरह दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले अभ्यर्थियों ने भी अपनी पहली पसंद IITs को ही बताया।

    राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों के सामने चुनौती

    पश्चिम बंगाल में जादवपुर यूनिवर्सिटी और कलकत्ता यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान अब भी उत्कृष्ट माने जाते हैं, लेकिन अधिकांश टॉप रैंकर्स IIT की ओर रुख कर रहे हैं।

    राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे हैं:

    1. प्लेसमेंट गैप – IITs की तुलना में राज्य कॉलेजों में पैकेज और प्लेसमेंट कम।

    2. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी – कई कॉलेजों में आधुनिक लैब और रिसर्च सुविधाओं का अभाव।

    3. ब्रांड वैल्यू – IIT ब्रांड आज भी युवाओं और कंपनियों के बीच सबसे आकर्षक है।

    विशेषज्ञों की राय

    शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान लंबे समय में राज्य के लिए चिंता का विषय है।

    • प्रो. समीर बनर्जी (शिक्षा विश्लेषक): “जब टॉप टैलेंट लगातार IIT की ओर जा रहा है, तो राज्य के कॉलेजों में सुधार की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। सरकार को रिसर्च फंडिंग, फैकल्टी ट्रेनिंग और इंडस्ट्री सहयोग को बढ़ाना होगा।”

    • डॉ. इंद्राणी मुखर्जी (कैरियर काउंसलर): “WBJEE सिर्फ एक प्रवेश द्वार है, लेकिन अगर राज्य कॉलेजों को आकर्षक बनाना है तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार शिक्षा और exposure देना होगा।”

    सरकार और कॉलेजों की रणनीति

    पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि वह राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार और प्लेसमेंट सेल को मजबूत करने पर काम करेगा।

    • जादवपुर यूनिवर्सिटी ने अगले पाँच वर्षों में रिसर्च और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई है।

    • कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करने की घोषणा की है।

    छात्रों की दृष्टि

    हालाँकि टॉप रैंकर्स IITs चुन रहे हैं, लेकिन WBJEE में मध्यम रैंक वाले छात्र अब भी राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों को चुनते हैं। उनके अनुसार:

    • राज्य कॉलेजों में पढ़ाई की लागत कम है।

    • घर के पास शिक्षा प्राप्त करने का विकल्प मिलता है।

    • कई कॉलेज रिसर्च और नवाचार में तेजी से सुधार कर रहे हैं।

    WBJEE 2025 ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि टॉप रैंकर्स का आकर्षण IITs की ओर बरकरार है। यह प्रवृत्ति राज्य कॉलेजों के लिए चुनौती भी है और अवसर भी—अगर वे अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट और रिसर्च पर ध्यान दें तो भविष्य में स्थिति बदल सकती है।

    भारत के लिए यह सवाल अहम है कि क्या शिक्षा का केंद्रीकरण केवल IITs तक सीमित रहेगा या फिर राज्य स्तरीय कॉलेज भी प्रतिस्पर्धी बनकर उभरेंगे।

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