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    ‘Outsourcing judgement isn’t leadership’: AI पर ज़्यादा निर्भर मैनेजर्स को अनुपम मित्तल की चेतावनी

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    नई तकनीक पर पूरी तरह निर्भर होना खतरनाक साबित हो सकता है।
    यही संदेश दिया है शादी.कॉम के संस्थापक और शार्क टैंक इंडिया के लोकप्रिय जज अनुपम मित्तल ने। उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा कि,
    “Outsourcing judgement isn’t leadership”
    यानी अगर कोई मैनेजर या नेता अपनी निर्णय लेने की क्षमता को पूरी तरह AI (Artificial Intelligence) के भरोसे छोड़ देता है, तो वह असली नेतृत्व नहीं कहलाता।

    AI का बढ़ता प्रभाव

    पिछले कुछ वर्षों में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ने दुनिया भर के बिज़नेस मॉडल को बदलकर रख दिया है।

    • कंपनियाँ आज AI की मदद से डेटा एनालिसिस, मार्केट रिसर्च, प्रोडक्ट इनोवेशन, कस्टमर सपोर्ट तक का काम करती हैं।

    • कई मैनेजर्स अब स्ट्रैटेजिक फैसलों और आइडियाज़ के लिए भी AI पर निर्भर हो रहे हैं।

    लेकिन यही निर्भरता अब बहस का विषय बन चुकी है।

    अनुपम मित्तल का बयान

    अनुपम मित्तल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:

    “AI टूल्स से मदद लेना स्मार्टनेस है, लेकिन अगर आप अपने दिमाग को साइड में रखकर सब कुछ मशीनों पर छोड़ देंगे, तो यह लीडरशिप नहीं, बल्कि आलस्य है।”

    उन्होंने आगे कहा कि एक लीडर की असली ताकत उसकी निर्णय लेने की क्षमता और मानवीय दृष्टिकोण होती है।
    AI केवल सहायक हो सकता है, लेकिन उसे अंतिम निर्णायक की भूमिका देना खतरनाक हो सकता है।

    क्यों उठी यह चिंता?

    AI की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता ने कई कंपनियों को हाइपर-ऑटोमेशन की ओर धकेल दिया है।

    • भर्ती से लेकर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट तक, हर जगह AI टूल्स का इस्तेमाल बढ़ गया है।

    • कई मैनेजर्स बिना क्रॉस-वेरिफिकेशन के AI-जनित रिपोर्ट्स पर निर्णय लेने लगे हैं।

    हालाँकि, इससे जोखिम भी पैदा होता है:

    1. बायस (Bias) – AI एल्गोरिद्म अपने प्रशिक्षण डेटा के आधार पर गलत या पक्षपाती निर्णय दे सकता है।

    2. कॉन्टेक्स्ट की कमी – मशीन इंसानों की तरह सांस्कृतिक, भावनात्मक या नैतिक संदर्भ नहीं समझ पाती।

    3. क्रिएटिविटी पर असर – अगर लीडर सिर्फ़ मशीनों पर निर्भर होंगे, तो नवाचार (Innovation) रुक सकता है।

    वैश्विक परिप्रेक्ष्य

    दुनिया भर में कई उद्योगों में AI की भूमिका तेजी से बढ़ रही है।

    • अमेरिका और यूरोप में कई कंपनियाँ AI-आधारित निर्णयों पर मुक़दमे झेल रही हैं, क्योंकि उनके फैसले भेदभावपूर्ण निकले।

    • टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि AI एक टूल है, इंसानों का विकल्प नहीं।

    अनुपम मित्तल का बयान इसी वैश्विक बहस से जुड़ा हुआ है—वे मानते हैं कि भारत में भी AI को आँख बंद करके अपनाना खतरनाक हो सकता है।

    भारतीय संदर्भ

    भारत में स्टार्टअप और कॉरपोरेट सेक्टर तेजी से AI को अपना रहे हैं।

    • फिनटेक कंपनियाँ लोन अप्रूवल और फ्रॉड डिटेक्शन के लिए AI का इस्तेमाल कर रही हैं।

    • ई-कॉमर्स और एडटेक सेक्टर ग्राहक अनुभव सुधारने के लिए AI चैटबॉट्स पर निर्भर हो रहे हैं।

    • लेकिन कई युवा मैनेजर्स और उद्यमी बिज़नेस स्ट्रैटेजी तक AI से पूछने लगे हैं।

    यही प्रवृत्ति अनुपम मित्तल के लिए चिंता का कारण बनी।

    क्या AI आइडियाज़ दे सकता है?

    AI निश्चित रूप से रिसर्च और इनोवेशन में सहायक है।

    • यह ट्रेंड्स का विश्लेषण कर सकता है।

    • बड़े डेटा सेट्स से तेज़ निष्कर्ष निकाल सकता है।

    • नए प्रोडक्ट या मार्केटिंग आइडियाज़ सुझा सकता है।

    लेकिन अंतिम निर्णय हमेशा मानवीय विवेक और अनुभव पर आधारित होना चाहिए।

    अनुपम मित्तल का संदेश

    उनका मूल संदेश यही है कि—

    • लीडरशिप का मतलब है जिम्मेदारी लेना और कठिन फैसले करना।

    • अगर मैनेजर्स हर बात AI से पूछेंगे, तो वे केवल ऑपरेटर्स रह जाएंगे, लीडर्स नहीं।

    • AI को एक सहायक टूल की तरह इस्तेमाल करें, न कि एक निर्णायक बॉस की तरह।

    अनुपम मित्तल का यह बयान समय की ज़रूरत है।
    AI की शक्ति को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, लेकिन इसकी सीमाओं को भी समझना ज़रूरी है।

    सही नेतृत्व वही है जो AI और मानवीय बुद्धिमत्ता का संतुलित उपयोग करे।
    अगर निर्णय क्षमता मशीनों को सौंप दी जाएगी, तो न केवल नेतृत्व कमजोर होगा बल्कि संगठन भी गलत दिशा में जा सकता है।

    इसलिए, अनुपम मित्तल की चेतावनी सभी मैनेजर्स और युवा उद्यमियों के लिए सबक है—
    “AI से मदद लो, लेकिन सोच और निर्णय अपनी रखो।”

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