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    बेंगलुरु की बारिश और 1 किमी ऑटो किराया ₹425! सोशल मीडिया पर वायरल हुई उबर प्राइसिंग

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    बेंगलुरु, जिसे भारत की आईटी राजधानी कहा जाता है, अक्सर अपने ट्रैफिक और बारिश के कारण सुर्खियों में रहता है। हाल ही में यहां की बारिश ने न केवल सड़कों को पानी-पानी कर दिया, बल्कि कैब और ऑटो सेवाओं के दामों ने भी आम जनता की जेब पर भारी बोझ डाल दिया।

    सोशल मीडिया पर एक यूज़र द्वारा शेयर की गई पोस्ट ने सबको चौंका दिया, जिसमें उबर ऑटो ने सिर्फ 1 किमी की दूरी तय करने के लिए ₹425 का किराया दिखाया। यह खबर देखते ही सोशल मीडिया पर गुस्से और हैरानी की लहर दौड़ गई।

    बारिश और ट्रैफिक से बढ़ी मुश्किलें

    बेंगलुरु में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश ने सड़कों को बुरी तरह प्रभावित किया है। जगह-जगह जलभराव, जाम और सड़क टूटने जैसी समस्याओं से लोग परेशान हैं। ऐसे हालात में ऑटो और कैब सेवाओं की मांग अचानक कई गुना बढ़ गई।

    • लोग ऑफिस से घर जाने के लिए बुकिंग कर रहे थे

    • सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुआ

    • राइड शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म पर सर्ज प्राइसिंग (Surge Pricing) सक्रिय हो गई

    यही वजह है कि सामान्य से कई गुना ज़्यादा किराए लोगों को चुकाने पड़ रहे हैं।

    सोशल मीडिया पर हंगामा

    जिस यूज़र ने स्क्रीनशॉट शेयर किया, उसमें साफ दिख रहा है कि उबर ऑटो के लिए ₹425 चार्ज मांगा गया जबकि दूरी केवल 1 किमी थी। इस पोस्ट के वायरल होते ही ट्विटर (अब X) और इंस्टाग्राम पर लोगों ने अपनी-अपनी कहानियाँ साझा करना शुरू कर दीं।

    किसी ने कहा—
    “425 रुपये में तो मैं पूरा पेट्रोल डलवा सकता हूँ, और यहां 1 किमी का किराया!”
     एक अन्य यूज़र ने लिखा— “अब उबर ऑटो लेना मतलब मिनी फ्लाइट पकड़ने जैसा हो गया है।”

    सर्ज प्राइसिंग क्या है?

    राइड-हेलिंग ऐप्स जैसे उबर और ओला में एक सिस्टम होता है जिसे Surge Pricing कहा जाता है। जब मांग (डिमांड) अधिक और उपलब्ध गाड़ियाँ कम होती हैं, तो ऐप किराए को बढ़ा देता है ताकि ड्राइवरों को प्रोत्साहन मिले और अधिक वाहन उपलब्ध हों।

    • सामान्य दिनों में यह किराया 1.5x या 2x तक जाता है

    • लेकिन बारिश और फेस्टिव सीज़न में यह 4x से 5x तक भी पहुँच सकता है

    बेंगलुरु में हाल ही की बारिश ने मांग इतनी बढ़ा दी कि सर्ज प्राइसिंग रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई।

    बेंगलुरु के निवासियों की परेशानी

    बेंगलुरु के लोग पहले से ही भारी ट्रैफिक, बढ़ते पेट्रोल-डीजल दाम और पार्किंग समस्या से जूझ रहे हैं। अब इस तरह के आसमान छूते ऑटो-कैब किराए ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

    कई लोगों का कहना है कि—

    • पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम (BMTC बसें और मेट्रो) बारिश के समय पर्याप्त नहीं होता

    • मजबूरी में लोगों को महंगे ऑटो और कैब बुक करने पड़ते हैं

    • आम मध्यमवर्गीय परिवार के लिए रोज़ाना ऐसे किराए देना असंभव है

    सरकार और प्राधिकरण से सवाल

    सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाए कि आखिर इस तरह की प्राइसिंग पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही? क्या राज्य सरकार या परिवहन विभाग इस पर कोई कदम उठाएगा?

    कर्नाटक सरकार पहले भी ओला-उबर जैसी कंपनियों को ऑटो रिक्शा बुकिंग पर सख्त निर्देश दे चुकी है। 2022 में परिवहन विभाग ने इन प्लेटफॉर्म्स को कहा था कि वे केवल मानक किराया ही वसूलें, लेकिन इस तरह की घटनाएँ दिखाती हैं कि अभी भी कई कमियाँ हैं।

    व्यापक प्रभाव

    यह मुद्दा केवल बेंगलुरु का नहीं है, बल्कि मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे अन्य महानगरों में भी देखा जाता है। जब भी बारिश, त्योहार या पिक ऑवर्स होते हैं, सर्ज प्राइसिंग लोगों को झटका देती है।

    विशेषज्ञ मानते हैं कि—

    • ऐसी घटनाएँ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपभोक्ताओं के भरोसे को कमजोर करती हैं

    • यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो यह समस्या और बढ़ेगी

    • लंबे समय में पब्लिक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करना ही एकमात्र समाधान है

    बेंगलुरु की बारिश ने एक बार फिर शहरी परिवहन व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। एक तरफ़ लोग जलभराव और ट्रैफिक से जूझ रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ उन्हें महंगे कैब और ऑटो किराए की मार झेलनी पड़ रही है। ₹425 में 1 किमी ऑटो किराया केवल एक स्क्रीनशॉट नहीं, बल्कि एक संकेत है कि शहर की परिवहन व्यवस्था को तुरंत सुधारने की आवश्यकता है।

    लोगों की यही माँग है कि सरकार और प्राधिकरण इस तरह की “अनुचित सर्ज प्राइसिंग” पर सख्त कार्रवाई करें और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाएँ ताकि आम नागरिक सुरक्षित और सुलभ विकल्प चुन सकें।

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