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    “चेतेश्वर पुजारा: क्रिकेट यात्रा को अलविदा, यादें हमेशा जिंदा”

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    भारतीय टेस्ट क्रिकेट की “नई दीवार” चेतेश्वर पुजारा ने आज सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी। 13 साल से अधिक के शानदार सफर का समापन करते हुए, 37 वर्षीय पुजारा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश लिखकर यह निर्णय साझा किया—जिसका हर तरफ से भारी समर्थन और श्रद्धांजली मिल रही है।

    1. पुजारा का भावनात्मक बताया संन्यास संदेश

    पुजारा ने लिखा: “भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर पूरी ताकत लगाना—इसे शब्दों में ठीक से व्यक्त नहीं किया जा सकता। लेकिन जैसा कहते हैं, हर अच्छी चीज़ का अंत होता है, और अब मेरा समय भी है। गहराई भरे आभार के साथ मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का निर्णय लिया है।”

    उन्होंने BCCI, सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन, कोच, टीम स्टाफ, एनालिस्ट, मीडिया और फैन्स—हर उस व्यक्ति को धन्यवाद कहा जो उनके सफर का हिस्सा था |

    2. संजय ही नहीं, कई दिग्गजों ने दी भावभीनी प्रतिक्रिया

    • सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट किया:
      “पुजारा, नंबर-3 पर तुम्हें मैदान में देखना हमेशा安心 था… 2018 ऑस्ट्रेलिया जीत बिना तुम्हारे संघर्ष के संभव नहीं हुआ होता।”

    • अनिल कुंबले अपने संदेश में बोले:
      “पुजारा, महान करियर के लिए बधाई! दूसरी पारी की शुभकामनाएँ।”

    • राहुल और अश्विन जैसे साथी खिलाड़ी भी भावुक संदेश साझा कर चुके हैं।

    • सनील गावस्कर ने तारीफ़ करते हुए कहा:
      “तुमने भारत को गर्वित किया है”—एक भावपूर्ण विदाई।

    • स्पोर्ट्स फ्रैटरनिटी: यूव्राज सिंह, गुप्तिल, रहाणे जैसे खिलाड़ी भावुक हो कर संदेश भेजे।

    3. करियर का संक्षिप्त सार

    टेस्ट करियर

    • 103 टेस्ट मैच, 7,195 रन, औसत 43.60, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं।

    घरेलू और प्रथम श्रेणी

    • कुल प्रथम श्रेणी में 21,301 रन, 66 शतक, औसत 51.82—ये आंकड़े उनके डेडिकेटेडता के प्रमाण हैं।

    4. सीमा से परे: श्रद्धा और आलोचना का संगम

    • बधाई संदेशों के बीच, कुछ आलोचना भी सामने आई—जैसे Iceland Cricket द्वारा ट्वीट जिसे नेटिज़न्स ने अनुपयुक्त करार दिया, क्योंकि उन्होंने लिखा था कि उन्हें लगा पुजारा पहले से ही संन्यास ले चुके थे। इसपर प्रतिक्रियाओं की लहर चली।

    5. पुजारा का खुद की भविष्यवाणी

    TOI से बातचीत में पुजारा ने कहा कि अब समय आ चुका है कि नए खिलाड़ियों को मौका मिले। उन्होंने याद किया:

    • कोलंबो में 145*,

    • एडिलेड में 123,

    • अहमदाबाद में अबतक का अपना उच्चतम स्कोर 206*,

    • हैदराबाद की 204 — ये करियर के पसंदीदा पल रहे।

    उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में उन्हें ब्रॉडकास्टिंग का अनुभव अच्छा लग रहा है—शायद आगे इसी क्षेत्र में कदम रखें।

    6. एक युग का अंत, नया आरंभ

    चेतेश्वर पुजारा का संन्यास सिर्फ उनके लिए नहीं, भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए भी एक युग का अंत है—”दीवार” जैसे धैर्यवान बल्लेबाज के जाते समय, एक खाली जगह नजर आती है। लेकिन साथ ही, विश्वसनीय नेतृत्व और कड़ी मेहनत के नए उदाहरणों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनाया गया।

    निष्कर्ष

    चेतेश्वर पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट इतिहास का एक भावुक और यादगार पल है। वे उन गिने-चुने बल्लेबाज़ों में से रहे जिन्होंने न सिर्फ अपनी तकनीक और धैर्य से टीम इंडिया को मजबूत किया बल्कि नई पीढ़ी के लिए क्रिकेट की असली परिभाषा भी गढ़ी। उनकी पहचान “दीवार” की तरह हुई, जो मुश्किल हालातों में टीम को संभालने के लिए हमेशा खड़े रहे। टेस्ट क्रिकेट में उनकी लंबी पारियां, विरोधी गेंदबाजों को थकाने का हुनर और रन बनाने का धैर्य उन्हें खास बनाता है।

    संन्यास संदेश में झलकती विनम्रता और कृतज्ञता ने यह साबित कर दिया कि पुजारा सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट का आदर्श चेहरा रहे हैं। उन्होंने टीम, साथियों और समर्थकों के प्रति आभार जताकर खेल भावना की मिसाल पेश की। उनकी यात्रा भले ही क्रिकेट मैदान तक सीमित न रहे, लेकिन उनकी कहानियाँ और उपलब्धियाँ हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।

    पुजारा ने जिस सादगी और समर्पण के साथ क्रिकेट खेला, वही उनकी सबसे बड़ी विरासत है। आने वाले समय में जब भी भारतीय क्रिकेट में धैर्य, तकनीक और जुझारूपन की बात होगी, चेतेश्वर पुजारा का नाम गर्व से लिया जाएगा। वे रुक गए हैं, पर उनकी यादें और योगदान हमेशा जिंदा रहेंगे।

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