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    लालबागचा राजा 2025 का पहला दर्शन—गणेश चतुर्थी के उल्लास की हुई शुरुआत

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    मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, आजकल धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों का केंद्र बना हुआ है। जैसे ही भाद्रपद का महीना आता है, पूरा महाराष्ट्र गणपति बप्पा की भक्ति में डूब जाता है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण—लालबागचा राजा 2025 का पहला दर्शन रविवार शाम को किया गया।

    लालबागचा राजा का महत्व

    लालबागचा राजा को मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे देश और विदेश से श्रद्धालु देखने आते हैं। यह पांडाल हर साल अपनी भव्यता, सामाजिक संदेश और कलात्मक सजावट के लिए प्रसिद्ध रहता है। लोग मानते हैं कि लालबागचा राजा की प्रतिमा के दर्शन मात्र से उनकी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। इसी वजह से इसे “नवसाचा गणपति” भी कहा जाता है।

    पर्यावरण अनुकूल सजावट और नई सोच

    इस वर्ष समिति ने खासतौर पर पर्यावरण संतुलन और टिकाऊ सजावट पर ज़ोर दिया है। प्रतिमा को पर्यावरण-अनुकूल रंगों और प्राकृतिक सामग्री से बनाया गया है। सजावट में प्लास्टिक और थर्मोकोल की जगह लकड़ी, कपड़े और पुनर्चक्रित (recycled) वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। इससे न केवल पर्यावरण को बचाने का संदेश मिलता है बल्कि समाज को भी प्रेरणा मिलती है।

    समिति के अध्यक्ष ने बताया कि,
    “लालबागचा राजा केवल भक्ति का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक संदेश देने का माध्यम भी है। इस बार हमने थीम को ‘हरित भविष्य, स्वच्छ भविष्य’ पर आधारित किया है।”

    भक्तों का उत्साह

    पहले दर्शन के मौके पर हजारों भक्त पंडाल में पहुंचे। पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण था—ढोल-ताशे, भजन और आरतियों की गूंज से माहौल श्रद्धा और उत्साह से भर गया। कई श्रद्धालुओं ने तो रातभर लाइन में खड़े रहकर गणपति बप्पा का पहला दर्शन किया।

    महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से आए भक्तों का कहना है कि लालबागचा राजा के दर्शन के बिना उनका गणेशोत्सव अधूरा है। नासिक, पुणे, नागपुर और यहां तक कि दिल्ली, गुजरात और विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचे।

    सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक पहल

    पंडाल परिसर में न केवल धार्मिक गतिविधियाँ हो रही हैं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी जागरूकता फैलाई जा रही है। इस वर्ष समिति ने जल संरक्षण और वृक्षारोपण पर विशेष कार्यक्रम रखे हैं। बच्चों के लिए विशेष कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिनमें उन्हें प्लास्टिक के विकल्प और पर्यावरण बचाने के सरल उपाय बताए गए।

    सुरक्षा और व्यवस्था

    हर साल लाखों की भीड़ को देखते हुए इस बार मुंबई पुलिस और बीएमसी ने खास इंतज़ाम किए हैं। पंडाल के आसपास 24×7 निगरानी के लिए CCTV कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही भीड़ नियंत्रण और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए हैं।

    महिला सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। मेडिकल इमरजेंसी के लिए अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं।

    अंतरराष्ट्रीय आकर्षण

    लालबागचा राजा केवल मुंबईकरों का नहीं, बल्कि वैश्विक आकर्षण भी है। अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई और सिंगापुर से भी लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। समिति ने इस बार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी ‘लाइव दर्शन’ की सुविधा शुरू की है, जिससे भक्त घर बैठे गणपति का आशीर्वाद ले सकें।

    गणेशोत्सव का आरंभ

    लालबागचा राजा का पहला दर्शन होते ही मानो गणेशोत्सव का बिगुल बज गया है। आने वाले 10 दिनों तक मुंबई पूरी तरह गणपति बप्पा की भक्ति और उत्साह में डूब जाएगी। हर गली, हर मोहल्ले में पंडाल और आरतियों की गूंज सुनाई देगी।

    भक्तों का कहना है कि इस बार की थीम और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को देखकर लगता है कि त्योहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का माध्यम भी बन गया है।

    लालबागचा राजा 2025 का पहला दर्शन न केवल मुंबईकरों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए विशेष महत्व रखता है। यह आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि आस्था और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं। इस वर्ष की थीम “हरित भविष्य, स्वच्छ भविष्य” हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और सुंदर धरती देने की प्रेरणा देती है।

    गणेशोत्सव का यह उल्लासपूर्ण और भव्य आरंभ इस बात का प्रतीक है कि परंपरा, संस्कृति और सामाजिक जिम्मेदारी जब एक साथ आती हैं, तो त्योहार वास्तव में सार्थक बन जाते हैं।

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