




26 अगस्त 2025 को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में संभावित उछाल की चर्चा जोरों पर है। इसके पीछे कई बड़े कारण सामने आ रहे हैं—अमेरिकी फेडरल रिजर्व के संभावित दर कटौती संकेत, वैश्विक राजनीतिक तनाव, और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी। इन तमाम कारकों ने मिलकर निवेशकों का ध्यान फिर से सोने की ओर मोड़ दिया है।
पिछले कुछ दिनों में वेनेज़ुएला में अमेरिकी कार्रवाई और यमन में इज़राइली हमले जैसी घटनाओं ने भू-राजनीतिक माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। ऐसे हालात में परंपरागत रूप से निवेशक सोने को सुरक्षित संपत्ति (Safe Haven Asset) मानते हैं और इसमें बड़ी मात्रा में निवेश करते हैं। यही कारण है कि आज सोने की कीमतों में तेजी की संभावना जताई जा रही है।
इसके अलावा, अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक टैरिफ नीतियों को लेकर चल रही अनिश्चितता ने भी सोने की मांग को बढ़ावा दिया है।
सोने की कीमतों पर सबसे बड़ा असर ब्याज दरों का पड़ता है। जब फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती के संकेत देता है, तो डॉलर कमजोर पड़ता है और सोने की मांग बढ़ जाती है। वर्तमान हालात में फेडरल रिजर्व ने आगे दरों में कमी का संकेत दिया है, जिससे निवेशकों को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं।
भारतीय वायदा बाज़ार (MCX) में आज सोना ऊंचे स्तर पर खुलने की संभावना है। घरेलू ज्वेलरी मार्केट में त्योहारी सीज़न की शुरुआत नज़दीक होने के कारण डिमांड में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, रुपये की डॉलर के मुकाबले कमजोरी भी सोने के भाव को बढ़ा सकती है।
वर्तमान में MCX पर सोना 65,500 से 66,200 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ता है, तो सोना अगले एक महीने में 67,000 रुपये के स्तर तक जा सकता है।
निवेशकों के लिए संकेत
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कम अवधि का निवेश: अल्पावधि में सोने में निवेश करने वालों के लिए यह एक अच्छा समय है, क्योंकि आने वाले दिनों में इसमें और तेजी की उम्मीद है।
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दीर्घकालिक निवेश: लंबे समय के लिए सोना हमेशा सुरक्षित निवेश रहा है। मौजूदा आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए, निवेशक अपने पोर्टफोलियो का 10–15% हिस्सा सोने में रख सकते हैं।
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ETFs और डिजिटल गोल्ड: नए निवेशकों के लिए फिजिकल गोल्ड खरीदने के बजाय ETFs और डिजिटल गोल्ड बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर फेडरल रिजर्व वास्तव में ब्याज दरों में कटौती करता है और वैश्विक तनाव जारी रहते हैं, तो सोना अगले तिमाही तक 2,600 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह कीमत 68,000–70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है।
हालांकि, सोने की कीमतें हमेशा स्थिर नहीं रहतीं। अगर वैश्विक तनाव कम होते हैं या फेडरल रिजर्व अपेक्षा से विपरीत कदम उठाता है, तो सोने में गिरावट भी देखी जा सकती है। इसलिए निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानीपूर्वक निर्णय लें और विशेषज्ञों की राय लेकर ही बड़ी खरीदारी करें।
सोने की कीमतों में संभावित उछाल ने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां, भू-राजनीतिक तनाव और भारतीय रुपये की कमजोरी जैसे कारक निकट भविष्य में सोने को और महंगा बना सकते हैं। ऐसे हालात में सोना न केवल सुरक्षित निवेश विकल्प बना हुआ है, बल्कि बेहतर रिटर्न देने की संभावना भी दिखा रहा है।