




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गुजरात से “राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल्स मिशन” (National Critical Minerals Mission) का शुभारंभ किया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत की बढ़ती तकनीकी और औद्योगिक ज़रूरतों के लिए आवश्यक दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (Rare Earth Elements) की कमी को पूरा करना और वैश्विक निर्भरता को कम करना है।
आज के युग में सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरियां, मोबाइल फोन, रक्षा उपकरण, सोलर पैनल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें क्रिटिकल मिनरल्स पर निर्भर हैं। अभी तक भारत इन खनिजों के लिए चीन और अन्य देशों पर भारी निर्भर था, लेकिन इस मिशन के ज़रिए भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ेगा।
क्रिटिकल मिनरल्स क्या हैं और क्यों ज़रूरी हैं?
क्रिटिकल मिनरल्स वे खनिज हैं जिनकी उपलब्धता बेहद कम है लेकिन औद्योगिक और तकनीकी दृष्टिकोण से इनका महत्व अपार है। इनमें लिथियम, कोबाल्ट, निकल, रेयर अर्थ एलिमेंट्स, टंगस्टन, ग्रेफाइट, नियोडिमियम और टैंटलम जैसे खनिज शामिल हैं।
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लिथियम और कोबाल्ट – इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों के लिए
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नियोडिमियम और डिस्प्रोसियम – विंड टर्बाइनों और मैग्नेट बनाने के लिए
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टंगस्टन और टैंटलम – रक्षा उपकरणों और उच्च तकनीकी मशीनरी के लिए
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ग्रेफाइट – ऊर्जा भंडारण और सोलर पैनल के लिए
दुनिया भर में इन खनिजों की मांग लगातार बढ़ रही है। 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले मिनरल्स की मांग दोगुनी हो सकती है। ऐसे में भारत का यह कदम भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है।
मिशन के मुख्य उद्देश्य
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खनन और खोज में तेजी – भारत में मौजूद खनिज संसाधनों की खोज और आधुनिक तकनीकों के जरिए खनन की प्रक्रिया को बढ़ावा देना।
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निजी क्षेत्र की भागीदारी – सरकार ने निजी कंपनियों को भी इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
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आयात पर निर्भरता कम करना – चीन और अन्य देशों पर खनिजों के लिए निर्भरता को धीरे-धीरे समाप्त करना।
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ग्रीन एनर्जी मिशन को समर्थन – EV, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका – भारत को खनिज आपूर्ति की वैश्विक हब बनाने की योजना।
पीएम मोदी का संबोधन
लॉन्चिंग के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
“क्रिटिकल मिनरल्स मिशन भारत की नई औद्योगिक क्रांति का आधार बनेगा। यह न केवल ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती देगा बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आने वाले वर्षों में भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने में यह मिशन एक गेम चेंजर साबित होगा।
विशेषज्ञों की राय
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डॉ. आर. के. शर्मा (खनिज विशेषज्ञ): “भारत की तकनीकी प्रगति और ग्रीन एनर्जी सेक्टर के विस्तार के लिए क्रिटिकल मिनरल्स मिशन मील का पत्थर साबित होगा।”
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उद्योग जगत: EV और बैटरी निर्माता कंपनियों ने कहा है कि इस मिशन से उत्पादन लागत कम होगी और भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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पर्यावरणविद: उनका मानना है कि खनन के साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
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आर्थिक उछाल – देश में EV, सेमीकंडक्टर और हाई-टेक उद्योगों को गति मिलेगी।
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निर्यात में बढ़ोतरी – भारत खनिज निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो सकेगा।
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भूराजनीतिक मजबूती – खनिजों की वैश्विक मांग में भारत की भूमिका बढ़ेगी, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की स्थिति और मजबूत होगी।
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रोज़गार सृजन – खनिज आधारित उद्योगों के विस्तार से लाखों नए रोज़गार पैदा होंगे।
हालांकि इस मिशन से कई संभावनाएँ खुलती हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
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खनन कार्यों से पर्यावरणीय नुकसान
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उच्च निवेश और तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता
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वैश्विक प्रतिस्पर्धा और बाजार का दबाव
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स्थानीय समुदायों की सहमति और पुनर्वास की समस्याएं
भारत का राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल्स मिशन न केवल औद्योगिक और तकनीकी विकास का नया द्वार खोलेगा, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को भी साकार करेगा। यह मिशन भारत को आने वाले दशक में ग्रीन एनर्जी, EV और हाई-टेक उद्योगों का वैश्विक केंद्र बनाने की क्षमता रखता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारत के भविष्य को सुरक्षित करने और उसे एक मजबूत वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक साबित हो सकता है।