




भारतीय संगीत उद्योग ने हाल ही में सरकार से आग्रह किया है कि वह जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए, ताकि रचनाकारों और कॉपीराइट धारकों के अधिकारों की सुरक्षा हो सके। इंडियन म्यूज़िक इंडस्ट्री (IMI) के अध्यक्ष विक्रम मेहरा ने ‘ऑल अबाउट म्यूज़िक’ सम्मेलन में यह बात कही और कहा कि डिजिटल युग में AI तकनीक का उपयोग संगीत निर्माण और वितरण में तेजी ला सकता है, लेकिन यदि इस प्रक्रिया में कॉपीराइट संरक्षण का ध्यान न रखा गया, तो यह रचनाकारों के अधिकारों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
AI और संगीत उद्योग: एक नई चुनौती
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक ने संगीत उद्योग में क्रांति ला दी है। AI मॉडल अब न केवल संगीत बनाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि गानों की रचना, वॉइस मिक्सिंग और यहां तक कि पूरी एल्बम के निर्माण में भी इनका प्रयोग हो रहा है। हालांकि, इन मॉडलों को प्रशिक्षित करने के लिए विशाल मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है, जिसमें कई बार कॉपीराइटेड सामग्री भी शामिल होती है।
यदि ये AI मॉडल बिना अनुमति के कॉपीराइटेड सामग्री का उपयोग करते हैं, तो यह सीधे रचनाकारों और संगीतकारों के अधिकारों का उल्लंघन है। विक्रम मेहरा ने बताया कि वर्तमान में AI तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि यह किसी कलाकार की शैली की नकल कर सकती है और उनके स्वर या धुन के समान गाना बना सकती है। ऐसे में पारदर्शिता की कमी और बिना अनुमति के डेटा का प्रयोग रचनात्मक अधिकारों को खतरे में डाल सकता है।
IMI की मांगें और सरकार से अपेक्षाएँ
IMI ने सरकार से स्पष्ट रूप से कहा है कि AI तकनीक के इस्तेमाल में कुछ ठोस नियम और दिशानिर्देश लागू किए जाने चाहिए। इसके तहत उन्होंने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया है:
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पारदर्शिता सुनिश्चित करना: AI मॉडल्स जब भी कॉपीराइटेड संगीत सामग्री का उपयोग करें, तो इसका पूरा विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिए। इससे रचनाकार यह जान सकेंगे कि उनका काम कहाँ और किस तरीके से उपयोग हो रहा है।
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कॉपीराइट धारकों की सुरक्षा: कलाकारों और संगीतकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी उपायों को और सख्त किया जाना चाहिए। AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट नियम बनाना आवश्यक है।
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सुरक्षा उपायों का पालन: विशेष रूप से शॉर्ट-फॉर्म वीडियो प्लेटफॉर्म्स जैसे TikTok, Instagram Reels और अन्य इंटरएक्टिव प्लेटफॉर्म्स को “सेफ हार्बर” जैसी कानूनी छूट का गलत उपयोग करने से रोका जाना चाहिए। IMI का कहना है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर कलाकारों की सामग्री का AI के माध्यम से बिना अनुमति उपयोग बढ़ रहा है, जो कि कॉपीराइट उल्लंघन का गंभीर मामला है।
डिजिटल लाइसेंसिंग प्लेटफ़ॉर्म की पहल
IMI ने इस चुनौती का हल खोजने के लिए एक डिजिटल मार्केटप्लेस की भी घोषणा की है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक प्रदर्शन और अन्य व्यावसायिक उपयोग के लिए संगीत लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाना है।
इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ता विभिन्न संगीत आपूर्तिकर्ताओं से एक ही लाइसेंस के तहत गाने का उपयोग कर सकेंगे। इससे न केवल अनुपालन में सुधार होगा, बल्कि व्यवसायिक गतिविधियों में भी सुविधा आएगी। प्लेटफ़ॉर्म के जरिए कलाकारों और कॉपीराइट धारकों को भी उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उद्योग का विकास और संभावनाएँ
भारतीय संगीत उद्योग वर्तमान में लगभग ₹3,500 करोड़ का है। IMI के अनुसार यदि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और सदस्यता-आधारित मॉडल तेजी से अपनाए जाएँ, तो अगले कुछ वर्षों में यह उद्योग ₹10,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। विज्ञापन-समर्थित सीमित सुविधाओं वाले प्लेटफ़ॉर्म इस वृद्धि में सहायक भूमिका निभा सकते हैं।
इसके अलावा, डिजिटल वितरण और AI आधारित संगीत निर्माण नए अवसर पैदा कर रहे हैं। नए कलाकार तेजी से अपनी प्रतिभा को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं। वहीं, AI तकनीक का सही और कानूनी उपयोग करने से न केवल कलाकारों की सुरक्षा होगी, बल्कि संगीत उद्योग की गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारतीय संगीत उद्योग ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी AI और कॉपीराइट का मुद्दा चर्चा में है। ब्रिटेन में कई प्रसिद्ध कलाकारों ने AI के माध्यम से उनके काम का बिना अनुमति उपयोग होने पर विरोध जताया है। पॉल मेकार्टनी जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों ने चेतावनी दी है कि AI को कलाकारों के अधिकारों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
यह समस्या वैश्विक है क्योंकि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स और AI मॉडल्स की पहुँच सीमा-रहित है। इसलिए, भारत को इस मुद्दे पर अग्रणी भूमिका निभानी होगी और स्पष्ट नियम बनाने होंगे ताकि भारतीय रचनाकार भी सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें।
निष्कर्ष
AI तकनीक के बढ़ते प्रभाव के साथ यह स्पष्ट है कि संगीत उद्योग को नए नियमों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से सुरक्षा की आवश्यकता है। इंडियन म्यूज़िक इंडस्ट्री की पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार और उद्योग को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि AI का उपयोग रचनात्मकता को बढ़ावा देने और व्यवसाय में सुधार लाने के लिए हो, न कि कलाकारों और कॉपीराइट धारकों के अधिकारों को खतरे में डालने के लिए। इस प्रयास से भारतीय संगीत उद्योग न केवल सुरक्षित रहेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी प्रतिष्ठा बनाए रख सकेगा।
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