




महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के किसानों ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने पहली बार अपने केले को ओमान निर्यात कर कृषि क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। यह कदम न केवल स्थानीय किसानों के लिए गर्व की बात है बल्कि यह महाराष्ट्र के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है।
यह निर्यात SMART (State of Maharashtra Agribusiness and Rural Transformation) प्रोग्राम के तहत संभव हुआ। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों, बेहतर बाजार उपलब्ध कराने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जोड़ना है।
कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया बल्कि पैकेजिंग, क्वालिटी कंट्रोल और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी उपलब्ध कराया गया।
सोलापुर जिला लंबे समय से केले की खेती के लिए जाना जाता है। यहां की मिट्टी और जलवायु केले की अच्छी उपज के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
किसानों ने आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके अपने उत्पादन की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुँचाया। यही वजह रही कि ओमान जैसे देश ने सोलापुर के केले को आयात करने में रुचि दिखाई।
इस पहली खेप में दर्जनों टन केला भेजा गया है, जिसे विशेष कोल्ड स्टोरेज कंटेनरों में पैक करके समुद्री मार्ग से रवाना किया गया। निर्यात से पहले केले की क्वालिटी की कई स्तरों पर जांच हुई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह अंतरराष्ट्रीय बाजार की कसौटी पर खरा उतरे।
यह उपलब्धि किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली है और भविष्य में बड़े पैमाने पर निर्यात का रास्ता खोलेगी।
केला निर्यात से किसानों को स्थानीय बाजार की तुलना में कहीं अधिक लाभ मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में फलों की मांग और कीमतें बेहतर होती हैं।
सोलापुर के किसानों का मानना है कि यदि उन्हें निरंतर सपोर्ट मिलता रहा, तो आने वाले वर्षों में वे न केवल केले बल्कि अन्य फसलों को भी विदेशों में भेज सकते हैं। इससे उनकी आय दोगुनी होगी और कृषि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने इस पहल को किसानों के लिए “गेम-चेंजर” बताया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि SMART प्रोग्राम किसानों को सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उन्हें वैश्विक व्यापार श्रृंखला से जोड़ता है।
इसके अलावा, निर्यातक कंपनियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों को पैकेजिंग और शिपमेंट की प्रक्रिया समझाई और उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जानकारी दी।
ओमान और खाड़ी देशों में भारतीय केले की मांग लगातार बढ़ रही है। भारतीय केले का स्वाद और गुणवत्ता वहां के उपभोक्ताओं को आकर्षित करती है।
सोलापुर से पहली खेप के सफल निर्यात के बाद उम्मीद है कि आने वाले महीनों में और भी ऑर्डर मिलेंगे। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और भारत के कृषि निर्यात को भी मजबूती मिलेगी।
सोलापुर के एक किसान ने बताया—
“हमें हमेशा लगता था कि हमारा केला गुणवत्ता में बेहतरीन है, लेकिन अब जब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है, तो हमें और मेहनत करने की प्रेरणा मिली है। यह हमारे लिए गर्व का पल है।”
दूसरे किसान ने कहा कि सरकार और SMART प्रोग्राम की मदद के बिना यह संभव नहीं था। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे और फसलें निर्यात के लिए तैयार होंगी।
यह निर्यात सिर्फ शुरुआत है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरह से निरंतर सपोर्ट मिलता रहा, तो महाराष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाजार में केले और अन्य फसलों का बड़ा निर्यातक बन सकता है।
भारत पहले से ही केले का बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन निर्यात में उसका हिस्सा अभी कम है। सोलापुर के इस कदम से भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है।
सोलापुर के किसानों द्वारा पहली बार ओमान को केला निर्यात करना कृषि क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक और प्रेरणादायक उपलब्धि है। यह सफलता दिखाती है कि यदि किसानों को सही मार्गदर्शन, तकनीक और बाजार उपलब्ध कराया जाए तो वे न केवल देश बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बना सकते हैं।
यह पहल आने वाले समय में महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के किसानों के लिए नए अवसर खोलेगी और कृषि क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।