




भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव आने वाला है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अब अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस पर सस्पेंस गहराता जा रहा है। चर्चाओं में सबसे मजबूत दावेदार के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस का नाम सामने आ रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस पर अंतिम निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लिया जा सकता है।
बीजेपी का संविधान कहता है कि जब तक संगठनात्मक चुनावों में 50% से अधिक राज्य इकाइयों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सकता। यही कारण है कि अभी नाम की घोषणा टली हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि फिलहाल फोकस बिहार चुनावों पर है और उसके बाद ही अगली नियुक्ति पर मोहर लगेगी।
-
युवा और ऊर्जावान चेहरा – देवेंद्र फडनवीस अभी 54 साल के हैं और उन्हें भाजपा का युवा, लेकिन अनुभवी चेहरा माना जाता है।
-
संघ का भरोसा – फडनवीस की आरएसएस से नजदीकी पुरानी है और वे संघ की विचारधारा को मजबूती से आगे बढ़ाने वाले नेताओं में गिने जाते हैं।
-
संगठन और सत्ता दोनों का अनुभव – वे दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और संगठनात्मक स्तर पर भी उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है।
-
रणनीतिक सोच – जटिल राजनीतिक समीकरणों को साधने में उनकी दक्षता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय बना दिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि फडनवीस को पहले ही संकेत दिए जा चुके हैं कि बिहार चुनावों के बाद उनकी भूमिका बदल सकती है और वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
बिहार का चुनाव भाजपा के लिए हमेशा से चुनौती और अवसर दोनों रहा है।
-
यहाँ एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की टक्कर होगी।
-
भाजपा चाहती है कि बिहार में चुनावी रणनीति सफल हो और उसके बाद ही अध्यक्ष पद की घोषणा हो।
-
अगर पार्टी को बिहार में बेहतर प्रदर्शन मिलता है तो फडनवीस की दावेदारी और मजबूत हो जाएगी।
हालांकि फडनवीस का नाम सबसे आगे चल रहा है, लेकिन कुछ अन्य नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं:
-
पुरुषोत्तम रूपाला (गुजरात) – मोदी के करीबी और संघ समर्थित नेता, जिन्हें संगठन में विश्वसनीय माना जाता है। हालांकि, 2024 लोकसभा चुनावों में उनके विवादित बयान से उनकी छवि को थोड़ी चुनौती मिली थी।
-
धर्मेंद्र प्रधान (ओडिशा) – वर्तमान केंद्रीय शिक्षा मंत्री, जिनका परिवार संघ से जुड़ा रहा है। उन्हें भी संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
-
शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) – लंबे अनुभव वाले नेता, जिनका नाम भी अटकलों में है।
आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का भाजपा अध्यक्ष पद के चुनाव में हमेशा महत्वपूर्ण योगदान रहता है। संघ चाहता है कि संगठन के शीर्ष पर ऐसा चेहरा हो जो न केवल वैचारिक रूप से दृढ़ हो बल्कि चुनावी राजनीति में भी माहिर हो।
सूत्रों के मुताबिक, संघ का झुकाव भी फडनवीस की ओर है क्योंकि वे युवा भी हैं और संगठनात्मक क्षमता भी रखते हैं।
अगर देवेंद्र फडनवीस भाजपा के नए अध्यक्ष बनते हैं, तो इसके कई बड़े राजनीतिक असर होंगे:
-
महाराष्ट्र की राजनीति पर असर – मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद महाराष्ट्र में नया नेतृत्व खड़ा करना भाजपा के लिए चुनौती होगी।
-
राष्ट्रीय स्तर पर युवा नेतृत्व – भाजपा को एक नया, युवा और ऊर्जावान चेहरा मिलेगा जो 2029 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी को आगे ले जा सकेगा।
-
संगठनात्मक मजबूती – फडनवीस की कार्यशैली और संघ से नजदीकी पार्टी को मजबूत संगठनात्मक दिशा दे सकती है।
जेपी नड्डा के बाद भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम सामने हैं, लेकिन देवेंद्र फडनवीस फिलहाल सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। बिहार चुनाव इस फैसले की कुंजी है। अगर भाजपा को वहाँ उम्मीद के मुताबिक सफलता मिलती है, तो फडनवीस की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही है।