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    भारत की दिगंतारा और जापान की iSpace मिलकर बनाएंगी ‘Cislunar Space Awareness Domain Infrastructure’

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         भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी स्टार्टअप दिगंतारा और जापान की प्रमुख अंतरिक्ष कंपनी iSpace ने मिलकर एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य है – Cislunar Space Awareness Domain Infrastructure का निर्माण।

    यह पहल पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के उस विशाल क्षेत्र (Cislunar Space) पर केंद्रित है, जो आने वाले दशकों में वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष खनन, सुरक्षा और उपग्रह संचार का सबसे बड़ा केंद्र बनने वाला है।

    ‘Cislunar Space’ से तात्पर्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के उस अंतरिक्ष क्षेत्र से है, जिसमें भविष्य में अनेक सैटेलाइट, स्पेस स्टेशन और अंतरिक्ष मिशन संचालित होंगे। यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां नेविगेशन, कम्युनिकेशन और सुरक्षा के लिए सटीक डाटा की जरूरत है। आने वाले समय में Cislunar Space पर कब्ज़ा और निगरानी अंतरिक्षीय शक्ति संतुलन को तय करेगा।

     दिगंतारा और iSpace की साझेदारी

    • दिगंतारा पहले से ही स्पेस डेब्रिस ट्रैकिंग और स्पेस डोमेन अवेयरनेस (SDA) पर काम कर रही है।

    • iSpace, जापान की अग्रणी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जिसने चंद्रमा मिशनों के लिए कई सफल तकनीकी समाधान दिए हैं।

    दोनों कंपनियों की साझेदारी से पृथ्वी और चंद्रमा के बीच सटीक ट्रैकिंग नेटवर्क बनाया जाएगा। अंतरिक्ष यानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक वास्तविक समय (real-time) डाटा उपलब्ध कराया जाएगा। भविष्य के चंद्र मिशनों और स्पेस माइनिंग प्रोजेक्ट्स को मजबूत समर्थन मिलेगा।

    प्रोजेक्ट का उद्देश्य

    • Space Domain Awareness (SDA) को बढ़ावा देना।

    • अंतरिक्ष में स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्ष कचरे) की सटीक निगरानी।

    • Cislunar क्षेत्र में सुरक्षित सैटेलाइट नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम की स्थापना।

    • भविष्य में चंद्रमा कॉलोनी और स्पेस बेस की नींव रखना।

    दिगंतारा अपने विकसित किए जा रहे ऑर्बिटल ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट्स और AI आधारित डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करेगी।
    वहीं, iSpace चंद्रमा मिशनों और गहन अंतरिक्ष अभियानों से जुड़ा तकनीकी अनुभव लाएगी।

    दोनों मिलकर उच्च रेजोल्यूशन सेंसर, ऑर्बिटल ट्रैकिंग नेटवर्क, डेटा-शेयरिंग प्लेटफॉर्म
    विकसित करेंगे, जो Cislunar Space को सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगा।

    यह सहयोग केवल भारत और जापान तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिका, यूरोप और अन्य अंतरिक्षीय संस्थाओं को भी इससे लाभ होगा। Cislunar Space में बढ़ते ट्रैफिक और मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह पहल एशिया को वैश्विक स्पेस रिसर्च और सुरक्षा में अग्रणी बनाएगी।

    भारत के लिए क्या मायने रखता है?

    भारत के लिए यह प्रोजेक्ट कई मायनों में ऐतिहासिक है। ISRO की उपलब्धियों के बाद, अब निजी भारतीय स्टार्टअप भी स्पेस सिक्योरिटी और SDA में योगदान दे रहे हैं। यह भारत की स्पेस डिप्लोमेसी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। दिगंतारा जैसी स्टार्टअप्स वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

    जापान के लिए लाभ

    iSpace को Cislunar मिशनों में सटीक ट्रैकिंग और डाटा सपोर्ट मिलेगा। जापान अपनी चंद्रमा पर संसाधन खनन योजनाओं को और आगे बढ़ा सकेगा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जापान की अंतरिक्ष शक्ति और मजबूत होगी।

    स्पेस विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 10–15 सालों में Cislunar Space अंतरिक्षीय गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा। वहां खनन, कॉलोनी और रक्षा मिशन शुरू होंगे। ऐसे में, यह सहयोग समय की सबसे अहम जरूरत है।

    एक विशेषज्ञ ने कहा –
    “Space is no longer just about satellites; it’s about survival, security, and strategy in the cislunar domain.”

    भारत की दिगंतारा और जापान की iSpace का यह संयुक्त प्रयास केवल तकनीकी साझेदारी नहीं, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष सुरक्षा और सहयोग का खाका है।

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