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    बॉबी देओल ने ‘शोले’ के 4K वर्जन की स्क्रीनिंग में पिता धर्मेंद्र का प्रतिनिधित्व किया

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         भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक, ‘शोले’ का रिस्टोर्ड 4K संस्करण टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (TIFF) के 50वें संस्करण में भव्य अंदाज़ में प्रदर्शित किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर धर्मेंद्र की अनुपस्थिति में उनके पुत्र बॉबी देओल ने फिल्म का प्रतिनिधित्व कर सभी दर्शकों का दिल जीत लिया।

    TIFF 2025 के रेड कार्पेट पर बॉबी देओल का अंदाज़ बेहद खास रहा। उन्होंने निर्देशक रेमेश सिप्पी, निर्माता परिवार के सदस्य और फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर के साथ मंच साझा किया। धर्मेंद्र की अनुपस्थिति के बावजूद बॉबी ने अपने पिता का प्रतिनिधित्व बड़े गर्व और आत्मीयता से किया।

    दर्शकों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने बॉबी का खुले दिल से स्वागत किया। उनकी मौजूदगी इस बात का प्रतीक थी कि धर्मेंद्र और शोले की विरासत नई पीढ़ी तक सशक्त रूप से पहुँच रही है।

    1975 में रिलीज़ हुई ‘शोले’ भारतीय सिनेमा की कल्ट क्लासिक मानी जाती है। 50 साल पूरे होने पर इसका 4K रिस्टोरेशन फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (FHF) और L’Immagine Ritrovata लैब, बोलोग्ना के सहयोग से तैयार किया गया।

    इस संस्करण में उच्च गुणवत्ता वाला वीडियो और ऑडियो रीस्टोर, निर्देशक का संस्करण (Director’s Cut), पहले हटाए गए दो विशेष दृश्यों का समावेश है। रीस्टोर्ड ‘शोले’ देखने का अनुभव दर्शकों के लिए भावनात्मक और रोमांचक रहा।

    TIFF में जब जय-वीरू की दोस्ती, गब्बर का खौफ और बसंती की अदाएँ बड़े परदे पर फिर से जीवंत हुईं, तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। भारतीय दर्शक भावुक नज़र आए और कई लोगों ने इसे “घर की याद दिलाने वाला अनुभव” बताया। विदेशी दर्शकों के लिए ‘शोले’ भारतीय सिनेमा की भव्यता और कहानी कहने की ताकत का प्रमाण थी। सोशल मीडिया पर #Sholay4K और #BobbyDeolAtTIFF ट्रेंड करता रहा।

    ‘शोले’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का ऐसा अध्याय है जिसने संवादों (“कितने आदमी थे?”), किरदारों (गब्बर सिंह, जय-वीरू, बसंती, ठाकुर) और संगीत (राहुल देव बर्मन का जादू) को हमेशा के लिए अमर कर दिया। 50 साल बाद भी यह फिल्म हर पीढ़ी को जोड़ती है और बॉलीवुड की नींव को मजबूत बनाए रखती है।

    धर्मेंद्र भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय और सम्मानित कलाकारों में से हैं। उनकी अनुपस्थिति में बॉबी देओल का TIFF में शामिल होना इस बात का संदेश था कि परिवार और विरासत दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण हैं

    बॉबी ने मीडिया से बातचीत में कहा:

    “पापा का यहाँ होना सबसे खास होता, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है। ‘शोले’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारी इंडस्ट्री की धरोहर है।”

    निर्देशक रेमेश सिप्पी ने इस मौके पर कहा:

    “शोले सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि यह भारतीय समाज और दोस्ती का आइना है। इसे 4K में देखकर ऐसा लगा जैसे हम फिर से 1975 में लौट गए हों।”

    शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने भी बताया कि इस रिस्टोरेशन का मकसद सिर्फ फिल्म को बचाना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाना है।

    ‘शोले’ के 4K वर्जन की स्क्रीनिंग ने यह साबित कर दिया कि क्लासिक फिल्में समय की सीमाओं को पार कर जाती हैं। धर्मेंद्र की जगह बॉबी देओल का TIFF 2025 में उपस्थित होना इस ऐतिहासिक पल को और भी खास बना गया।

    ‘शोले’ आज भी वही जोश, वही रोमांच और वही असर छोड़ती है, जो उसने 50 साल पहले भारतीय सिनेमा को दिया था।

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