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    लासलगाव कांदा व्यापारी संघ ने पंजाब के बाढ़ प्रभावितों के लिए 40 टन कांदा भेजा

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         कांदा व्यापारी संघ ने मानवीयता की मिसाल पेश करते हुए पंजाब और हरियाणा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए 40 टन मुफ्त कांदा भेजा है। यह पहल न केवल व्यापारियों की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाती है, बल्कि संकटग्रस्त किसानों के लिए एक सशक्त संदेश भी है।

    रविवार, 7 सितंबर 2025 को सुबह 11 बजे, छत्रपती शिवाजी महाराज कांदा संकुल से एक ट्रक में लोड किए गए कांदों को फगवाड़ा, पंजाब स्थित गुरुद्वारे के लिए रवाना किया गया। इस ट्रक में कुल 40 टन कांदा था, जिसे व्यापारियों ने अपनी स्वेच्छा से भेजा है।

    लासलगाव कांदा व्यापारी संघ के अध्यक्ष श्रीराम पाटील ने बताया, “पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने किसानों की स्थिति को गंभीर बना दिया है। ऐसे में हम सभी व्यापारियों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि हम अपनी ओर से कुछ सहायता प्रदान करें। कांदा एक आवश्यक खाद्य सामग्री है, और इसकी आपूर्ति से वहां के लोगों को राहत मिलेगी।”

    यह पहल न केवल व्यापारियों की दयालुता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि व्यापार और मानवता एक साथ चल सकते हैं। लासलगाव, जो कि भारत का सबसे बड़ा कांदा उत्पादक केंद्र है, यहां के व्यापारियों ने हमेशा सामाजिक जिम्मेदारी निभाई है।

    इससे पूर्व, लासलगाव कांदा व्यापारी संघ ने किसानों की समस्याओं को लेकर कई बार सरकार से समर्थन की मांग की है। कांदा निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों और गिरते दामों के कारण किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। इस पहल से यह भी संदेश जाता है कि व्यापारियों को केवल व्यापारिक लाभ नहीं, बल्कि समाज की भलाई भी महत्वपूर्ण है।

    लासलगाव के इस कदम की चारों ओर सराहना हो रही है। विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने व्यापारियों की इस पहल को सराहा है और इसे एक प्रेरणा के रूप में देखा है।

    इस मानवीय पहल से यह स्पष्ट होता है कि संकट के समय में एकजुटता और सहयोग से ही हम बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। लासलगाव के व्यापारियों ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यापार केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी किया जा सकता है।

    लासलगाव कांदा व्यापारी संघ की यह पहल न केवल व्यापारियों की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि व्यापार और मानवता एक साथ चल सकते हैं। संकट के समय में इस तरह की पहल समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है।

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