




भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) इस समय एक अनोखे और विवादास्पद मामले में हाईकोर्ट के सामने है। राज्य इकाइयों द्वारा केले पर ₹35 लाख खर्च करने के आरोप के चलते BCCI को अदालत का नोटिस मिला है। यह मामला न केवल वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल उठाता है बल्कि क्रिकेट प्रशासन में प्रबंधन की जवाबदेही को भी चुनौती देता है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ राज्य इकाइयों ने क्रिकेट अकादमी और प्रशिक्षण शिविरों के लिए केले पर भारी राशि खर्च की। कुल मिलाकर, BCCI की विभिन्न राज्य इकाइयों ने केले पर ₹35 लाख से अधिक खर्च किया। इस खर्च का विवरण अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए BCCI से पूछा है कि यह खर्च कितने आधार पर और किस उद्देश्य से किया गया। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इस तरह का खर्च क्रिकेट के विकास और प्रशिक्षण उद्देश्यों के अनुरूप है।
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए BCCI से 15 दिनों में जवाब मांगा है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वित्तीय पारदर्शिता और राज्य इकाइयों के खर्च की वैधता पर ध्यान दिया जाएगा। वकीलों का कहना है कि यह मामला BCCI के वित्तीय प्रबंधन और राज्य इकाइयों के निर्णयों की समीक्षा का अवसर है। यदि अदालत को लगे कि खर्च गैर-जरूरी था, तो BCCI को मुआवजा देने या खर्च पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है।
BCCI के आंतरिक दस्तावेज़ों के अनुसार, यह पैसा खिलाड़ियों की पोषण और स्वास्थ्य के लिए उपयोग किया गया था। हालांकि, उच्च राशि और खर्च का पैटर्न सवाल खड़ा करता है कि क्या यह वास्तविक आवश्यकता थी या केवल भ्रामक खर्च था। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बड़े खर्च में पारदर्शिता और रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है। BCCI जैसी संस्था में प्रत्येक खर्च का ऑडिट होना चाहिए।
यह मामला सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर तेजी से चर्चा का विषय बन गया है। कई क्रिकेट फैंस ने इस खर्च पर सवाल उठाए हैं और BCCI से जवाब देने की मांग की है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला BCCI के वित्तीय और प्रशासनिक प्रबंधन में सुधार का अवसर भी हो सकता है। क्रिकेट प्रेमियों और मीडिया ने इस घटना को बोर्ड की जवाबदेही और पारदर्शिता के दृष्टिकोण से देखा।
यदि अदालत यह पाती है कि यह खर्च अनुचित था, तो BCCI को अपने वित्तीय प्रबंधन और राज्य इकाइयों के खर्च की नीति में सुधार करना पड़ेगा। यह मामला अन्य क्रिकेट बोर्डों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में काम करेगा कि वित्तीय अनुशासन और ऑडिट प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले से BCCI को वित्तीय और प्रशासनिक दृष्टिकोण से सुधार के लिए मजबूर होना पड़ेगा। राज्य इकाइयों के खर्च पर नज़र रखने और ऑडिट प्रक्रियाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है। साथ ही, यह मामला क्रिकेट खिलाड़ियों के पोषण और प्रशिक्षण के लिए खर्च की पारदर्शिता पर भी ध्यान दिलाएगा।