




तमिलनाडु की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। राज्य की दो प्रमुख पार्टियों—डीएमके और एआईएडीएमके—के बीच चल रही खींचतान और आंतरिक मतभेदों ने राजनीति में दरारें पैदा कर दी हैं। ऐसे माहौल में साउथ के सुपरस्टार और लोकप्रिय अभिनेता विजय की राजनीति में एंट्री की खबर ने हलचल मचा दी है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनकी एंट्री तमिलनाडु की सत्ता के समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है।
तमिलनाडु की राजनीति लंबे समय से दो ध्रुवों—डीएमके और एआईएडीएमके—के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन दोनों दलों के भीतर असंतोष, गुटबाज़ी और नेतृत्व संकट ने नई पार्टियों और नेताओं के लिए अवसर पैदा किए हैं।
डीएमके सरकार सत्ता में तो है, लेकिन उस पर भ्रष्टाचार, प्रशासनिक ढील और युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, एआईएडीएमके जयललिता के बाद अभी भी मजबूत नेतृत्व तलाशने में जुटी है।
विजय केवल एक अभिनेता नहीं, बल्कि तमिलनाडु में करोड़ों युवाओं की आवाज़ हैं। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट होती हैं और उनके फैन क्लब्स तमिलनाडु के हर कोने में मौजूद हैं। यही फैन क्लब अब उनके राजनीतिक समर्थन आधार का काम कर सकते हैं।
राजनीति में एंट्री को लेकर विजय ने कई बार संकेत दिए थे। हाल ही में उनके समर्थकों ने राज्यभर में “विजय अन्ना राजनीति में आओ” जैसे नारे लगाए, जिससे साफ है कि उनकी लोकप्रियता को राजनीति में भुनाया जा सकता है।
विजय की राजनीति में एंट्री क्यों अहम?
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युवाओं का समर्थन: तमिलनाडु में बड़ी संख्या में युवा वोटर हैं, जो पारंपरिक पार्टियों से नाराज़ हैं। विजय उनकी पहली पसंद बन सकते हैं।
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फिल्म स्टार का करिश्मा: दक्षिण भारतीय राजनीति में फिल्म स्टार्स का करिश्मा नया नहीं है। एमजीआर, जयललिता और रजनीकांत जैसे दिग्गजों ने साबित किया है कि फिल्मी लोकप्रियता राजनीति में वोट में बदल सकती है।
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वैकल्पिक राजनीति की तलाश: जनता डीएमके और एआईएडीएमके के विकल्प की तलाश में है। विजय इस खाली जगह को भर सकते हैं।
डीएमके और एआईएडीएमके, दोनों ही दल विजय की एंट्री को लेकर सतर्क हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि विजय नई पार्टी बनाते हैं, तो यह दोनों दलों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
बीजेपी और कांग्रेस भी विजय पर नज़र बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा उनकी लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए उन्हें समर्थन दे सकती है। वहीं, कांग्रेस युवाओं को साधने के लिए गठबंधन की संभावना देख सकती है।
सूत्रों का कहना है कि विजय अपनी पार्टी की घोषणा अगले वर्ष की शुरुआत में कर सकते हैं। उनकी टीम पहले से ही जिला स्तर पर संगठन तैयार करने में जुटी है। फैन क्लब्स को राजनीतिक कार्यकर्ताओं में बदला जा रहा है।
पार्टी के एजेंडे में युवाओं की शिक्षा, रोजगार, भ्रष्टाचार विरोधी नीतियाँ और कल्याणकारी योजनाएँ शामिल हो सकती हैं। यह एजेंडा उन मुद्दों से मेल खाता है, जिन पर फिलहाल राज्य सरकारें असफल साबित हो रही हैं।
सर्वे और सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं से साफ है कि बड़ी संख्या में युवा विजय की राजनीति में एंट्री का इंतज़ार कर रहे हैं। लोग मानते हैं कि उनकी ईमानदार छवि और सरल व्यक्तित्व उन्हें एक भरोसेमंद नेता बना सकता है। हालांकि, यह भी सच है कि राजनीति का मैदान फिल्मों से कहीं ज्यादा कठिन और जटिल है।
तमिलनाडु की राजनीति इस समय संक्रमण काल में है। ऐसे समय में विजय जैसे सुपरस्टार की एंट्री केवल हलचल ही नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन को भी बदल सकती है। डीएमके और एआईएडीएमके के बीच बंटी राजनीति अब एक नए चेहरे और नई पार्टी की वजह से बदल सकती है।
आने वाले विधानसभा चुनावों में विजय की भूमिका निर्णायक हो सकती है। अगर वे सही रणनीति और मजबूत संगठन के साथ आगे बढ़े, तो तमिलनाडु की राजनीति में तीसरा मोर्चा उभरना तय है।