




बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी ने हाल ही में इंडिपेंडेंट फिल्म ‘जुगनूमा’ के प्रमोशन के दौरान महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री का एक वर्ग केवल चश्मेबाजी और आलोचना में लगा रहता है, जबकि असली मकसद सिनेमा को बढ़ावा देना होना चाहिए।
मनोज बाजपेयी ने खुलासा किया कि फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने उनकी फिल्म ‘जुगनूमा’ का समर्थन किया। इस समर्थन से उन्हें काफी प्रेरणा मिली है और इंडी फिल्म को सही दिशा देने में मदद मिली है।
बाजपेयी ने कहा, “अनुराग कश्यप का समर्थन मेरे लिए गर्व की बात है। इंडिपेंडेंट सिनेमा में काम करना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन ऐसे सहयोग से कलाकार और टीम उत्साहित रहते हैं। हमें केवल सिनेमा और कहानी पर ध्यान देना चाहिए, न कि चश्मेबाजी पर।”
‘जुगनूमा’ एक इंडिपेंडेंट फिल्म है, जिसमें समाज की जटिलताओं और मानवीय संवेदनाओं को बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। फिल्म की कहानी, निर्देशन और अभिनय को लेकर पहले ही समीक्षकों और दर्शकों में उत्सुकता बनी हुई है।
मनोज बाजपेयी ने बताया कि इस फिल्म के माध्यम से उन्हें इंडिपेंडेंट सिनेमा को नया आयाम देने का अवसर मिला है। उनका कहना है कि बॉलीवुड में बड़े बजट की फिल्मों के साथ-साथ छोटे बजट की फिल्में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये समाज और मानव भावनाओं को बेहतर तरीके से दर्शाती हैं।
मनोज बाजपेयी ने इंडी सिनेमा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह फिल्म उद्योग का आत्मा है। उन्होंने कहा, “सिनेमा केवल बॉक्स ऑफिस कमाई या स्टारडम तक सीमित नहीं होना चाहिए। इंडिपेंडेंट फिल्में हमें असली कहानी, संस्कृति और कला से जोड़ती हैं। हम कलाकारों और फिल्म निर्माताओं को इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।”
मनोज ने स्पष्ट किया कि इंडस्ट्री में हमेशा आलोचना होती रहती है, लेकिन इसे सकारात्मक रूप में लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “कुछ लोग केवल बातें बनाते हैं या आलोचना करते हैं। हमें अपनी ऊर्जा और समय केवल सिनेमा को बेहतर बनाने में लगाना चाहिए।”
उन्होंने अनुराग कश्यप और अन्य सहयोगियों के समर्थन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे सहयोग से इंडिपेंडेंट फिल्में मजबूत होती हैं और दर्शकों तक पहुंचती हैं।
मनोज बाजपेयी ने यह भी संकेत दिया कि वे भविष्य में इंडिपेंडेंट सिनेमा में और सक्रिय रूप से काम करने का इरादा रखते हैं। उनका मानना है कि छोटे बजट की फिल्मों में नए कलाकारों और प्रतिभाओं के लिए अवसर ज्यादा होते हैं।
उन्होंने कहा, “जुगनूमा केवल एक शुरुआत है। मैं इंडी फिल्मों और सामाजिक कहानियों पर आधारित फिल्मों को प्रोत्साहित करना चाहता हूं। सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संदेश देने का भी माध्यम है।”