




नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन उग्र होते जा रहे हैं। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि नेपाल सेना को देश के सबसे महत्वपूर्ण त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नियंत्रण अपने हाथों में लेना पड़ा है। इस बीच, हालात असुरक्षित देखते हुए बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक नेपाल से भारत की ओर लौट रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर विशेषकर पश्चिम बंगाल के पनितांकी बॉर्डर से लोगों का आना-जाना लगातार बढ़ गया है।
नेपाल में हाल ही में शुरू हुए प्रदर्शन अब व्यापक जनआंदोलन का रूप ले चुके हैं। यह आंदोलन मुख्यतः युवा वर्ग और छात्रों की अगुवाई में हो रहा है। प्रदर्शनकारी देश की राजनीतिक अस्थिरता, बेरोजगारी और सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
पिछले एक सप्ताह से राजधानी काठमांडू में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई बार एयरपोर्ट की ओर मार्च करने की कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सेना की तैनाती को जरूरी समझा।
नेपाल का त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट एशिया का एक महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है, जो नेपाल की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही का मुख्य द्वार माना जाता है। लेकिन मौजूदा हालात में यहां अव्यवस्था की स्थिति बनी रही। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने एयरपोर्ट के नज़दीकी इलाकों में रैली और नारेबाज़ी की, जिसके बाद सेना ने स्थिति संभालने के लिए एयरपोर्ट की कमान अपने हाथों में ले ली।
सेना की तैनाती के बाद से एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। यात्रियों को जांच और दस्तावेज़ी प्रक्रियाओं में पहले से अधिक सख्ती का सामना करना पड़ रहा है।
नेपाल में रह रहे या घूमने आए भारतीय नागरिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। विदेश मंत्रालय (MEA) और भारतीय दूतावास ने नागरिकों से अपील की है कि वे घर के अंदर रहें और गैर-जरूरी यात्राओं से बचें।
कई भारतीय पर्यटक और कारोबारी पहले ही भारत-नेपाल सीमा की ओर बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के पनितांकी बॉर्डर पर हाल के दिनों में बड़ी संख्या में भारतीय लौटे हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा इंतज़ाम बढ़ा दिए हैं ताकि लौटने वाले नागरिकों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
भारत सरकार हालात पर लगातार नज़र रखे हुए है। विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जब तक नेपाल में हालात सामान्य नहीं हो जाते, भारतीय नागरिक वहां यात्रा करने से बचें।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत-नेपाल सीमा के कई प्रमुख बॉर्डर पॉइंट्स पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। साथ ही, दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं ताकि ज़रूरतमंद नागरिक तुरंत संपर्क कर सकें।
नेपाल की मौजूदा स्थिति केवल सड़क पर हो रहे प्रदर्शनों की वजह से नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता भी एक बड़ा कारण है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफ़े के बाद से देश में सत्ता शून्य जैसी स्थिति बनी हुई है।
कई दलों के बीच सत्ता संतुलन की कोशिश हो रही है लेकिन राजनीतिक सहमति नहीं बनने से हालात और बिगड़ रहे हैं। विपक्षी दल सरकार पर विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि सरकार कह रही है कि आंदोलन को विपक्षी ताकतें हवा दे रही हैं।
काठमांडू की सड़कों पर रोजाना हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई है। आँसू गैस के गोले और लाठीचार्ज जैसी स्थितियां देखने को मिली हैं।
हालात इतने बिगड़े कि कई देशों ने अपने नागरिकों को Nepal Travel Advisory जारी कर दी है। पर्यटन पर निर्भर नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।
नेपाल और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रिश्ते रहे हैं। दोनों देशों की सीमाएँ खुली हैं और हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं। ऐसे में नेपाल में अशांति का सीधा असर भारत पर भी पड़ता है।
विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में इसका असर देखने को मिल रहा है। भारतीय नागरिकों की वापसी और सीमा सुरक्षा बढ़ने से व्यापार और पर्यटन पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल में हालात जल्दी काबू में आते नहीं दिख रहे। यदि जल्द ही कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकला तो विरोध प्रदर्शन और हिंसक हो सकते हैं। ऐसे में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और आवाजाही पर और अधिक असर पड़ने की संभावना है।
भारत सरकार ने फिलहाल नेपाल सरकार से स्थिति सामान्य करने की अपील की है। साथ ही, अपने नागरिकों के सुरक्षित वापसी के लिए लगातार समन्वय किया जा रहा है।
नेपाल का मौजूदा संकट केवल उसकी आंतरिक राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए चिंता का विषय बन गया है। त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सेना का नियंत्रण इस बात का प्रतीक है कि हालात गंभीर स्तर पर पहुँच चुके हैं। भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी और सीमा सुरक्षा इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है।