




पड़ोसी देश नेपाल इन दिनों गहन राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। ‘GenZ आंदोलन’ के नाम से शुरू हुए छात्र और युवा विरोध प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुके हैं। हालात बिगड़ने के बाद भारत के उत्तर प्रदेश में नेपाल से सटी सीमाओं पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बढ़ा रही हैं ताकि कोई भी अप्रिय स्थिति सीमा पार आकर भारतीय क्षेत्र को प्रभावित न करे।
नेपाल में युवा पीढ़ी, खासकर ‘जनरेशन Z’ (1997 के बाद जन्मे युवाओं) ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लगातार बदलती सरकारें और नेताओं की खींचतान ने देश को पीछे धकेल दिया है। उनका आरोप है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में सुधार नहीं हुआ है, जबकि महँगाई और बेरोजगारी ने युवाओं को निराश कर दिया है। इसी असंतोष ने सड़कों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का रूप ले लिया है।
पिछले कुछ दिनों में काठमांडू और तराई क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी कार्यालयों और गाड़ियों में आगजनी की है। सुरक्षा बलों के साथ झड़पें बढ़ गई हैं, जिनमें कई लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आँसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही नेपाल सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह विरोध और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकता है।
नेपाल में बढ़ती अशांति का सीधा असर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों—महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती और पीलीभीत—पर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने नेपाल से लगी सभी चेकपोस्ट्स पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। संदिग्ध व्यक्तियों की आवाजाही पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। प्रशासन ने सीमा पर गश्त बढ़ाने और इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा है, जहाँ रोज़ाना हजारों लोग आवाजाही करते हैं। ऐसे में नेपाल में हिंसा और विरोध की स्थिति भारत के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि अशांति के दौरान अपराधी या असामाजिक तत्व सीमा पार आ सकते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके अलावा, तस्करी और अवैध गतिविधियों के बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
यूपी प्रशासन ने नेपाल से सटे जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अफवाहों से बचने और सतर्क रहने के लिए कहा गया है। स्थानीय प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आवश्यक होने पर सीमा पार से आने-जाने वालों पर अस्थायी रोक लगाई जा सकती है।
नेपाल की मौजूदा स्थिति पर न सिर्फ भारत, बल्कि अन्य पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की नज़र है। नेपाल की स्थिरता दक्षिण एशिया की शांति और व्यापारिक संबंधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नेपाल सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो यह संकट अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप तक पहुँच सकता है। नेपाल के आम नागरिकों का जीवन इस संकट से प्रभावित हो रहा है। परिवहन ठप है, बाजार बंद हैं और जरूरी सामानों की कमी बढ़ती जा रही है। भारत-नेपाल व्यापार भी प्रभावित हुआ है, जिससे सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोग परेशान हैं।
नेपाल में ‘GenZ’ प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है और यह आंदोलन अब एक बड़े राजनीतिक संकट का रूप ले चुका है। भारत के लिए यह स्थिति इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि नेपाल से लगती खुली सीमा सीधे तौर पर यूपी के जिलों को प्रभावित करती है।
फिलहाल सुरक्षा एजेंसियाँ चौकसी बरत रही हैं, लेकिन आने वाले दिनों में नेपाल की स्थिति का स्थिर होना दोनों देशों के हित में होगा।