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    नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा: देश में राजनीतिक अस्थिरता का नया दौर

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         नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद देशभर में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसक प्रदर्शन का माहौल बन गया है। इस घटनाक्रम ने नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और देश के भविष्य की दिशा पर सवाल उठाए हैं।

    प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा उस समय आया जब देशभर में भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो रहे थे। विशेष रूप से, सरकार द्वारा 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने युवाओं में आक्रोश पैदा किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला था और सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों को दर्शाता था।

    प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संसद भवन और अन्य सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 19 लोगों की मौत हो गई, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इन घटनाओं के बाद, प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

    प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद, नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन गया है। सेना ने राजधानी काठमांडू में कर्फ्यू लागू किया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गश्त शुरू की। कई सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों में आगजनी की घटनाएँ सामने आईं। इन घटनाओं ने देश की सुरक्षा स्थिति को गंभीर बना दिया है।

    यह प्रदर्शन मुख्य रूप से नेपाल की युवा पीढ़ी द्वारा किए गए थे, जो सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। उनका मुख्य आरोप था कि सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को सीमित किया है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर अपने विरोध को साझा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

    प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद, नेपाल में राजनीतिक रिक्तता उत्पन्न हो गई है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, लेकिन नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। राजनीतिक दलों के बीच संवाद की कमी और असहमति के कारण सरकार गठन में देरी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यदि राजनीतिक दल आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर काम करें, तो देश में स्थिरता और विकास संभव है। अन्यथा, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक अशांति का खतरा बना रह सकता है।

    नेपाल में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें हैं। भारत ने नेपाल में शांति और संवाद की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी नेपाल में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के पालन और मानवाधिकारों के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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