




भारत अब केवल दुनिया का एक बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार ही नहीं रहना चाहता, बल्कि इस उद्योग का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा भी रखता है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक बयान में स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के भीतर भारत को वैश्विक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में नंबर 1 स्थान पर पहुंचाना है।
आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। देश में हर साल लाखों दोपहिया, चारपहिया और वाणिज्यिक वाहन बिकते हैं। “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों ने इस क्षेत्र में विदेशी निवेश और घरेलू उत्पादन को नई गति दी है।
हालांकि चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं—उच्च उत्पादन लागत, आयात पर निर्भरता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और तेजी से बदलती तकनीक भारतीय कंपनियों के सामने बड़ी बाधा बन सकती हैं।
नितिन गडकरी ने अपने भाषण में खास तौर पर यह उल्लेख किया कि भारत ऑटोमोबाइल उद्योग में हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर जोर दे रहा है। सरकार का मानना है कि भविष्य का नेतृत्व वही देश करेगा जो टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन उपलब्ध कराएगा।
भारत में पहले से ही टाटा, महिंद्रा, और ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियाँ ईवी सेक्टर में निवेश कर रही हैं। साथ ही, विदेशी दिग्गज कंपनियाँ जैसे टेस्ला और हुंडई भी भारतीय बाजार में अपनी मौजूदगी मजबूत कर रही हैं।
भारत सरकार ने कई ऐसी योजनाएँ लागू की हैं जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होंगी। इनमें प्रमुख हैं:
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FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles) योजना – ईवी की खरीद पर सब्सिडी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास।
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PLI (Production Linked Incentive) योजना – घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन करने के लिए।
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ग्रीन हाइड्रोजन मिशन – स्वच्छ ईंधन तकनीक में भारत को अग्रणी बनाने के लिए।
वर्तमान में जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देश ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के बड़े खिलाड़ी हैं। भारत की रणनीति इनसे मुकाबला करने के लिए कम लागत, बड़े पैमाने पर उत्पादन, और उभरते बाजारों की मांग को पूरा करने पर केंद्रित है।
भारत की जनसंख्या और तेजी से बढ़ती मध्यमवर्गीय आबादी ऑटोमोबाइल सेक्टर को विशाल घरेलू बाजार उपलब्ध कराती है। यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।
अगर भारत अगले पांच वर्षों में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में शीर्ष पर पहुंचता है तो इसका सीधा असर रोजगार और आर्थिक विकास पर पड़ेगा। ऑटोमोबाइल सेक्टर पहले से ही लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है। गडकरी के अनुसार, आने वाले समय में यह क्षेत्र करोड़ों नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है। साथ ही, निर्यात बढ़ने से भारत की विदेशी मुद्रा आय भी मजबूत होगी।
भारत का यह सपना केवल आर्थिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए भारत को स्वच्छ ऊर्जा वाले वाहनों को अपनाना होगा।
इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन वाहनों की ओर बढ़ता कदम न केवल पर्यावरण को बचाएगा बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर टिकाऊ विकास का मॉडल भी बनाएगा।
भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों और कंपनियों ने गडकरी के इस बयान का स्वागत किया है। उनका मानना है कि सरकार का यह विजन उद्योग को नई दिशा देगा। कई कंपनियाँ पहले से ही नए निवेश, अनुसंधान और विकास (R&D) और अत्याधुनिक तकनीक अपनाने की तैयारी में जुट गई हैं।
भारत का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में वैश्विक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में नंबर 1 बनना भले ही महत्वाकांक्षी लगे, लेकिन मौजूदा रफ्तार, सरकारी समर्थन और उद्योग जगत की सक्रिय भागीदारी को देखते हुए यह संभव है।
अगर यह सपना पूरा होता है तो भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होगा, बल्कि रोजगार, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी दुनिया के लिए एक आदर्श बनेगा।