




भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी इंजन तकनीक विकसित करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। इसी क्रम में फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी सफरान (Safran) के साथ चल रहा प्रोजेक्ट बेहद अहम माना जा रहा है। यह न सिर्फ भारत के रक्षा क्षेत्र को नई मजबूती देगा, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) की दिशा में भी बड़ा कदम साबित होगा।
🔹 सफरान प्रोजेक्ट क्या है?
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सफरान भारत के साथ मिलकर नेक्स्ट-जेनरेशन फाइटर जेट इंजन के विकास पर काम कर रही है।
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यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से भारत के तेजस एमके-2, एएमसीए (Advanced Medium Combat Aircraft) और भविष्य के लड़ाकू विमानों को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है।
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इंजन की थ्रस्ट क्षमता और परफॉर्मेंस अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर होगी।
🔹 भारत के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
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स्वदेशीकरण में मदद: अभी भारत अपने लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए अमेरिका (GE), रूस और यूरोप पर निर्भर है।
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रणनीतिक स्वतंत्रता: स्वदेशी इंजन से भारत को रक्षा सौदों में विदेशी दबाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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लंबी अवधि का फायदा: यह प्रोजेक्ट आने वाले दशकों तक भारत की एयर पावर को मजबूत बनाएगा।
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तकनीकी ट्रांसफर: सफरान के साथ साझेदारी से भारत को अत्याधुनिक जेट इंजन टेक्नोलॉजी की समझ और पहुंच मिलेगी।
🔹 रक्षा विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल हुआ, तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वयं की फाइटर जेट इंजन तकनीक है। यह भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को भी बढ़ा सकता है।
🔹 अंतरराष्ट्रीय संदेश
सफरान प्रोजेक्ट भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों का भी प्रतीक है।
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इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
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यह पश्चिमी देशों को भी संकेत देता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में सिर्फ खरीदार नहीं, बल्कि साझेदार और डेवलपर की भूमिका निभाना चाहता है।
सफरान प्रोजेक्ट भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी साझेदारी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक निवेश है। यह भारतीय वायुसेना की शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ देश को रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करेगा।