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    भारत ने रूस को भेजा सख्त संदेश: अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती तुरंत रोकें

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         भारत ने हाल ही में रूस से आग्रह किया है कि वह अपनी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती तुरंत रोक दे। यह कदम दोनों देशों के बीच सुरक्षा और मानवाधिकार से जुड़े मसलों को लेकर उठाया गया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों को रूस की सेना में शामिल करना उनके लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

    विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि रूस में सहायक कर्मचारी के रूप में काम कर रहे भारतीयों की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत की जिम्मेदारी है। मंत्रालय ने रूस से आग्रह किया है कि वे उन भारतीयों को तुरंत रिहा करें जो वर्तमान में सेना में या उससे जुड़े किसी भी गतिविधि में शामिल हैं।
    विदेश मंत्रालय ने साथ ही चेतावनी दी कि यदि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई, तो भारत इस मामले में कड़े कूटनीतिक कदम उठा सकता है।

    संदेश में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि रूस में भारतीय नागरिकों के लिए संभावित खतरे बढ़ रहे हैं। मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों की सेना में भर्ती उन्हें युद्ध और संघर्ष क्षेत्रों में जोखिम में डाल सकती है।
    इस संदर्भ में विदेश मंत्रालय ने रूसी अधिकारियों से सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया है और रिहाई प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने की मांग की है।

    भारत और रूस के पारंपरिक दोस्ताना संबंध लंबे समय से कायम हैं। दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्रों में सहयोग किया है।
    हालांकि, भारतीय नागरिकों की सेना में भर्ती को लेकर यह कदम द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने यह कदम भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए उठाया है, जबकि रूस को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों देशों के आपसी विश्वास पर कोई असर न पड़े।

    विदेश मंत्रालय ने रूस से आग्रह किया है कि सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों को तुरंत रिहा किया जाए। इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारतीय दूतावास और वाणिज्यिक मिशन पूरी तरह से इस प्रक्रिया में सहयोग करेंगे और भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेंगे।
    कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। भारतीय नागरिकों की स्वेच्छा और सुरक्षा के बिना उन्हें किसी विदेशी सेना में शामिल करना उचित नहीं माना जाता।

    रूस में कार्यरत भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों ने भी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय की चेतावनी और रिहाई के लिए उठाए गए कदमों ने उनके मन में उम्मीद जगी है कि वे सुरक्षित रूप से भारत लौट सकेंगे।
    मंत्रालय ने सभी भारतीयों से अपील की है कि वे इस समय धैर्य बनाए रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि में न उलझें।

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कदम को भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटेगा।
    विदेश मंत्रालय ने रूस के साथ लगातार संवाद बनाए रखा है और दोनों देशों के अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय बैठकें होने की संभावना है ताकि इस मुद्दे का त्वरित समाधान निकाला जा सके।

    भारत द्वारा रूस को भेजा गया यह सख्त संदेश भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रूस में भारतीयों की सेना में भर्ती रोकने और उन्हें रिहा करने की मांग अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार और द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
    आने वाले समय में यह देखना होगा कि रूस इस संदेश का क्या जवाब देता है और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देश किस तरह के कूटनीतिक कदम उठाते हैं।

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