




नेपाल में नई पीढ़ी यानी जेन-जेड (Gen Z) युवाओं ने भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन प्रदर्शनों का केंद्र 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि बनी हुई है। युवाओं का कहना है कि यह संधि नेपाल की सार्वभौमिकता और स्वतंत्र नीति में बाधा डाल रही है।
🔹 जेन-जेड की मांगें
-
नेपाल के युवाओं का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच नो-वीज़ा पॉलिसी (No Visa Policy) और खुले बॉर्डर का प्रावधान अब देश की सुरक्षा और पहचान के लिए चुनौती बन गया है।
-
वे चाहते हैं कि इस संधि को नए सिरे से परिभाषित किया जाए।
-
उनका आरोप है कि भारत की ओर झुकाव रखने वाली पुरानी सरकारों ने नेपाल के हितों से समझौता किया।
🔹 1950 की शांति और मित्रता संधि
यह संधि भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंधों की नींव मानी जाती है।
-
संधि के तहत दोनों देशों के नागरिक बिना वीज़ा के आ-जा सकते हैं।
-
दोनों देशों में संपत्ति, व्यापार और रोज़गार की स्वतंत्रता भी दी गई है।
-
लेकिन नेपाल के कुछ तबकों का मानना है कि इस संधि ने नेपाल को भारत पर अत्यधिक निर्भर बना दिया।
🔹 भारत की स्थिति
भारत ने हमेशा इस संधि को दोनों देशों के बीच भरोसे और दोस्ती का प्रतीक बताया है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यदि नेपाल सरकार आधिकारिक तौर पर किसी संशोधन की मांग करती है, तो भारत बातचीत के लिए तैयार है।
🔹 राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
-
नेपाल में हो रहे ये प्रदर्शन सिर्फ भारत-नेपाल रिश्तों पर नहीं, बल्कि आंतरिक राजनीति पर भी असर डाल सकते हैं।
-
कई विपक्षी दल इसे युवाओं के असंतोष का प्रतीक बता रहे हैं।
-
कूटनीतिक हलकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले समय में भारत-नेपाल संबंधों की परीक्षा ले सकता है।
नेपाल की नई पीढ़ी द्वारा उठाई गई आवाज़ भारत और नेपाल के दशकों पुराने रिश्तों के लिए चुनौती है। अब देखना होगा कि 1950 की संधि और नो-वीज़ा पॉलिसी को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है।