




नेपाल में चल रहे Gen-Z आंदोलन को लेकर भारत भी सतर्क है। वहां प्रदर्शन और विरोध के बीच कई भारतीय छात्र और कामगार फंसे हुए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वासन दिया है कि नेपाल में मौजूद भारतीयों, खासकर महाराष्ट्र के युवाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाएगी।
नेपाल में हाल के दिनों में युवा पीढ़ी, जिसे Gen-Z कहा जा रहा है, ने रोजगार, पारदर्शिता और राजनीतिक सुधार की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। इस दौरान कई जगहों पर झड़पें और तनावपूर्ण स्थिति देखने को मिली।
🔹 एकनाथ शिंदे का बयान
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा,
“महाराष्ट्र सरकार नेपाल में फंसे हर भारतीय और खासकर महाराष्ट्र के छात्रों की मदद करेगी। हम विदेश मंत्रालय और दूतावास के साथ लगातार संपर्क में हैं।”
🔹 आंदोलन का असर
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नेपाल के कई शहरों में स्कूल-कॉलेज बंद हुए।
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परिवहन और सेवाओं पर असर पड़ा।
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पर्यटक और विदेशी छात्र असमंजस की स्थिति में हैं।
🔹 भारत की चिंता
भारत सरकार भी इस आंदोलन पर करीबी नज़र रख रही है। विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने और भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचने की सलाह दी है।
🔹 नेपाल में Gen-Z आंदोलन क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की नई पीढ़ी लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से परेशान है। यही वजह है कि सोशल मीडिया से शुरू हुआ यह आंदोलन सड़कों तक आ गया है।
नेपाल का Gen-Z आंदोलन पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और वापसी के लिए हर कदम उठाएगा। वहीं, नेपाल सरकार के सामने चुनौती है कि वह युवाओं की नाराज़गी को कैसे संभाले।