




नेपाल की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। इस बार चर्चाओं में कोई पारंपरिक राजनेता नहीं बल्कि देश के ‘पावरमैन’ कुलमन घीसिंग हैं। नेपाल की नई पीढ़ी, यानी Gen-Z, ने उन्हें आगे लाने की पहल की है। इससे पहले देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की और काठमांडू के लोकप्रिय मेयर बालेन शाह के नाम सामने आए थे, लेकिन दोनों ने खुद को रेस से बाहर कर लिया। अब पूरा फोकस कुलमन घीसिंग पर है, जिन्हें लोग ऊर्जा क्षेत्र में किए गए उनके काम के कारण राष्ट्रीय नेता के रूप में देखना चाहते हैं।
कुलमन घीसिंग नेपाल के ऊर्जा विशेषज्ञ और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के प्रबंध निदेशक रहे हैं। उनका नाम नेपाल में तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने देश में चल रही घंटों-घंटों की लोडशेडिंग (बिजली कटौती) को खत्म करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में नेपाल ने न सिर्फ घरेलू बिजली आपूर्ति सुधारी बल्कि भारत समेत पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात करना भी शुरू किया।
नेपाल लंबे समय तक बिजली संकट से जूझता रहा। एक समय ऐसा था जब काठमांडू सहित देशभर में रोजाना 14 से 18 घंटे तक बिजली कटौती होती थी। लेकिन कुलमन घीसिंग ने अपनी रणनीति और सुधारों के जरिए इस संकट को खत्म किया। उनके काम की वजह से ही उन्हें नेपाल में ‘पावरमैन’ कहा जाने लगा। आम लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी है कि उन्हें राजनीति में ईमानदार और सक्षम विकल्प माना जा रहा है।
नेपाल की नई पीढ़ी, खासकर Gen-Z, मौजूदा राजनीतिक दलों और नेताओं से निराश है। युवाओं का मानना है कि पुराने नेता देश को बार-बार राजनीतिक अस्थिरता की ओर ले गए। इसलिए अब वे तकनीकी विशेषज्ञों और गैर-राजनीतिक चेहरों पर भरोसा जता रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने कुलमन घीसिंग को आगे लाने की पहल की है। सोशल मीडिया पर युवाओं का ट्रेंड साफ दिखाता है कि घीसिंग को “भविष्य के प्रधानमंत्री” के रूप में देखा जा रहा है।
सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, का नाम भी प्रमुख दावेदारों में था। लेकिन उन्होंने राजनीतिक दौड़ से खुद को दूर रखने का निर्णय लिया। वहीं काठमांडू के करिश्माई मेयर बालेन शाह, जिन्हें युवाओं का बड़ा समर्थन प्राप्त है, ने भी कहा कि उनका फोकस अभी स्थानीय प्रशासन और काठमांडू के विकास पर है। दोनों नेताओं के हटने के बाद कुलमन घीसिंग का नाम और मजबूत होकर सामने आया है।
कुलमन घीसिंग की उपलब्धियाँ
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लोडशेडिंग खत्म करना: नेपाल में 18 घंटे तक बिजली कटौती आम थी, जिसे उन्होंने रिकॉर्ड समय में खत्म किया।
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पावर प्रोजेक्ट्स का विस्तार: हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को गति दी और उत्पादन क्षमता बढ़ाई।
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भारत को बिजली निर्यात: भारत को बिजली सप्लाई कर नेपाल को ऊर्जा निर्यातक देश बनाने में योगदान दिया।
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पारदर्शिता और कार्यकुशलता: बिजली प्राधिकरण में भ्रष्टाचार कम करने और कामकाज में सुधार लाने के लिए उनकी छवि मजबूत रही।
विशेषज्ञों का मानना है कि कुलमन घीसिंग का राजनीति में आना नेपाल की दिशा बदल सकता है। वह तकनीकी ज्ञान और ईमानदार छवि के साथ युवाओं को आकर्षित करते हैं। हालांकि, राजनीति केवल कामकाजी क्षमता से नहीं चलती, बल्कि इसमें गठबंधन, विचारधारा और रणनीति की भी भूमिका होती है। यही कारण है कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वे राजनीति की जटिलताओं और सत्ता समीकरणों से कैसे निपटेंगे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर युवाओं ने #KulmanForNepal और #PowerManLeader जैसे हैशटैग ट्रेंड करा दिए हैं। आम लोग कह रहे हैं कि नेपाल को अब एक व्यवहारिक और ईमानदार नेता चाहिए, और घीसिंग इसके लिए सबसे सही विकल्प हैं।
नेपाल की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। पारंपरिक नेताओं से निराश जनता और खासकर Gen-Z अब बदलाव चाहती है। इस बदलाव की उम्मीद उन्होंने कुलमन घीसिंग में देखी है, जिन्होंने अपनी कार्यकुशलता से देश को अंधकार से रोशनी की ओर ले जाया। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ‘पावरमैन’ वास्तव में नेपाल की सत्ता संभालते हैं या यह सिर्फ युवाओं का एक सपना बनकर रह जाता है।