




नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा देकर सत्ता छोड़ दी, जिसके बाद देश में नया नेतृत्व कौन संभालेगा, यह सवाल सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इस बीच, नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम तेजी से उभरकर सामने आया है।
जनता के एक बड़े वर्ग, खासकर Gen-G प्रदर्शनकारियों ने उनके नेतृत्व के पक्ष में समर्थन जताया है। हालांकि, अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि उन्हें अंतरिम तौर पर प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी जाएगी या नहीं।
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही हैं और उन्होंने अपने न्यायिक कार्यकाल में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मिसाल पेश की। न्यायपालिका में रहते हुए उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए, जो सीधे जनता के हित से जुड़े थे। उनकी छवि एक ईमानदार, सख्त और न्यायप्रिय महिला की रही है।
अब जब नेपाल की राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही है, तब जनता का एक बड़ा वर्ग मानता है कि कार्की जैसी निष्पक्ष और मजबूत नेतृत्व क्षमता वाली शख्सियत ही देश को सही दिशा दे सकती हैं।
कार्की ने हाल ही में एक बयान में कहा कि उन्हें भारतीय नेताओं की कार्यशैली और लोकतांत्रिक मूल्यों से प्रेरणा मिली है। उन्होंने यह भी माना कि भारत और नेपाल के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने विशेष तौर पर यह उल्लेख किया कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं और वहां नेताओं ने बार-बार चुनौतियों का सामना करते हुए भी जनता का विश्वास बनाए रखा है।
कार्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी ने भारत की वैश्विक छवि को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने यह माना कि मोदी की नेतृत्व क्षमता और निर्णायक रवैया नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल की परिस्थितियां भारत से अलग हैं और यहां की राजनीतिक समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय नेतृत्व को ही आगे आकर रास्ता निकालना होगा।
नेपाल में Gen-G आंदोलन पिछले कुछ महीनों से तेजी पकड़ चुका है। यह आंदोलन मुख्य रूप से युवाओं द्वारा संचालित है, जो पारदर्शिता, सुशासन और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन की मांग कर रहे हैं।
Gen-G के नेताओं ने साफ किया है कि वे सुशीला कार्की जैसे नेता को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। उनका मानना है कि कार्की की ईमानदार छवि और कठोर निर्णय लेने की क्षमता देश को स्थिरता प्रदान कर सकती है।
नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता पर भारत और चीन दोनों की पैनी नजर है। भारत लंबे समय से नेपाल के लोकतांत्रिक ढांचे का समर्थन करता आया है, जबकि चीन नेपाल को अपनी “बेल्ट एंड रोड” नीति में जोड़ने की कोशिश करता रहा है।
कार्की का भारतीय नेताओं से प्रभावित होना और पीएम मोदी पर सकारात्मक टिप्पणी करना यह संकेत देता है कि उनके नेतृत्व में नेपाल-भारत संबंध और भी मजबूत हो सकते हैं। वहीं, चीन इस स्थिति पर कड़ी निगरानी रखे हुए है।
हालांकि कार्की का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है, लेकिन नेपाल की राजनीति में समीकरण काफी जटिल हैं। कई दल उनके नाम पर सहमति जता रहे हैं, वहीं कुछ दल अब भी अपने-अपने नेताओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि नेपाल की संसद या राष्ट्रपति कार्यालय उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का अंतिम फैसला कब लेगा। लेकिन जनता का समर्थन और अंतरराष्ट्रीय नजरिया इस संभावना को और मजबूत करता है।
नेपाल इस समय एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। केपी शर्मा ओली के इस्तीफे ने सत्ता के शून्य को जन्म दिया है और जनता अब ऐसे नेता की तलाश में है, जो भ्रष्टाचार-मुक्त शासन दे सके और नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत कर सके।
सुशीला कार्की का नाम इस संदर्भ में उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय नेताओं और पीएम मोदी से प्रभावित उनकी सोच यह संकेत देती है कि यदि वे सत्ता संभालती हैं, तो नेपाल और भारत के बीच संबंधों में नया अध्याय लिखा जा सकता है।