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    महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का कर्नाटक सरकार पर निशाना, शिवाजीनगर मेट्रो स्टेशन का नाम बदलने के फैसले पर जताया विरोध

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         महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कर्नाटक सरकार द्वारा बेंगलुरु के शिवाजीनगर मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर सेंट मैरीज स्टेशन करने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे मराठा गौरव और ऐतिहासिक विरासत के खिलाफ कदम करार दिया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय न केवल इतिहास और संस्कृति के अपमान के समान है, बल्कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।

    कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु मेट्रो में कई स्टेशनों के नाम बदलने का निर्णय लिया है, जिसमें शिवाजीनगर का नाम बदलकर सेंट मैरीज करने का प्रस्ताव शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय स्थानीय इतिहास और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर कर सकता है। शिवाजीनगर नाम मराठा वीरता और छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृति को दर्शाता है।

    महाराष्ट्र CM ने प्रेस वार्ता में कहा, “शिवाजीनगर का नाम बदलना हमारे इतिहास और वीरता की स्मृति को नजरअंदाज करना है। यह महाराष्ट्र और मराठा गौरव के लिए अपमानजनक है।” उन्होंने कर्नाटक सरकार से अपील की कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए और स्थानीय और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए स्टेशनों के नाम बनाए जाएं।

    शिवाजीनगर का नाम सिर्फ एक स्टेशन का नाम नहीं बल्कि मराठा गौरव और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का प्रतीक है।

    इतिहासकारों का कहना है कि स्टेशनों और सार्वजनिक जगहों के नाम बदलना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक संवेदनाओं से जुड़ा मामला है। मुख्यमंत्री का कहना है कि किसी भी राज्य में ऐसे फैसले लेते समय ऐतिहासिक महत्व और सामाजिक भावना का सम्मान करना चाहिए।

    महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच इस नाम परिवर्तन को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियों ने मुख्यमंत्री के समर्थन में आवाज़ उठाई और इसे कर्नाटक सरकार की “संवेदनहीन नीति” करार दिया।

    वहीं, कर्नाटक सरकार ने यह स्पष्ट किया कि नाम परिवर्तन का निर्णय शहर की प्रशासनिक योजना और नागरिक सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद राजनीतिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से संवेदनशील मामला बन गया है।

    स्थानीय नागरिकों और इतिहास प्रेमियों ने भी नाम परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि शिवाजीनगर का नाम बदलना स्थानीय पहचान और सांस्कृतिक गौरव को नुकसान पहुंचा सकता है।  सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी यह मामला ट्रेंड कर रहा है, और लोग दोनों राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

    इस विवाद के बढ़ने के साथ ही संभावना जताई जा रही है कि दोनों राज्यों के बीच बातचीत और समझौता के जरिए समाधान निकाला जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए, तो विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है।

    शिवाजीनगर मेट्रो स्टेशन का नाम बदलने का निर्णय महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच संस्कृति, इतिहास और राजनीतिक विवाद का नया केंद्र बन गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का कड़ा विरोध यह संकेत देता है कि राज्य की सरकार और जनता अपनी ऐतिहासिक विरासत और मराठा गौरव की रक्षा के लिए किसी भी कदम से पीछे नहीं हटेंगे।

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