




महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मशहूर कॉमेडियन और अभिनेता कपिल शर्मा को चेतावनी दी है कि वे अपने कॉमेडी शो में मुंबई को ‘बॉम्बे’ या ‘बंबई’ के नाम से संबोधित न करें। पार्टी ने इसे मराठी अस्मिता और शहर की पहचान से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताया है। मनसे ने कहा है कि अगर यह प्रथा जारी रहती है तो वे इसके खिलाफ कड़ा आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
मनसे के प्रमुख और फिल्म विंग के प्रमुख अमेय खोपकर ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “मुंबई का नाम ‘मुंबई’ है। कपिल शर्मा के शो में हमने बार-बार देखा कि शहर को ‘बॉम्बे’ या ‘बंबई’ कहा जाता है। यह न केवल मराठी अस्मिता के लिए अपमानजनक है, बल्कि महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं के खिलाफ भी है। अगर अन्य शहरों जैसे चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता के नाम सही तरीके से लिए जाते हैं, तो मुंबई का अपमान क्यों?”
अमेय खोपकर ने यह भी कहा कि कपिल शर्मा मुंबई में कई वर्षों से काम कर रहे हैं और उन्हें इस शहर और यहां के लोगों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह प्रथा जारी रही तो मनसे के द्वारा कड़ा आंदोलन किया जाएगा।
यह विवाद एक वायरल वीडियो क्लिप के कारण शुरू हुआ जिसमें अभिनेत्री हुमा कुरैशी अपने भाई साकिब सलीम के साथ कपिल शर्मा के शो में दिखाई दे रही थीं और शो में उन्होंने मुंबई को ‘बॉम्बे’ कहा। इस घटना के बाद मनसे ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए सार्वजनिक रूप से विरोध दर्ज कराया।
मनसे ने यह भी याद दिलाया कि मुंबई का आधिकारिक नाम 1995 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा और 1996 में केंद्र सरकार द्वारा ‘मुंबई’ रखा गया था। यह नाम मराठी भाषा और संस्कृति का प्रतीक है। राज ठाकरे की पार्टी लगातार इस नाम और शहर की पहचान के सम्मान के लिए सख्त रुख अपनाती रही है।
इस विवाद ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या उन्हें स्थानीय नामों और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। जबकि कॉमेडी शो में हास्य और मनोरंजन की छूट होती है, लेकिन स्थानीय पहचान और अस्मिता को नजरअंदाज करना विवादास्पद साबित हो सकता है।
मनसे ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्तिगत अपमान नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं और मराठी अस्मिता के खिलाफ भी है। अमेय खोपकर ने कहा, “हम यह उम्मीद करते हैं कि कपिल शर्मा और उनके शो के निर्माता इस चेतावनी को गंभीरता से लेंगे और भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराएंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मनसे आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।”
कपिल शर्मा या उनके शो के निर्माता इस मुद्दे पर अब तक किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे पाए हैं। हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोग इस विवाद में अपनी राय रख रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह हास्य का हिस्सा था और इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए, जबकि कई लोग मानते हैं कि स्थानीय संस्कृति और अस्मिता का सम्मान करना हर कलाकार का कर्तव्य है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भारतीय मनोरंजन उद्योग में स्थानीय पहचान और सम्मान के मुद्दों को सामने लाता है। भारतीय शहरों के नाम बदलने और उनकी संस्कृति की रक्षा करने के मुद्दे अक्सर राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील होते हैं। मुंबई का नाम बदलकर ‘मुंबई’ रखना केवल सरकारी निर्णय नहीं था, बल्कि यह मराठी भाषा और स्थानीय संस्कृति की रक्षा का प्रतीक भी है।
मनसे का यह रुख महाराष्ट्र में लंबे समय से देखा गया है। पार्टी ने पहले भी कई बार सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी है कि किसी भी कार्यक्रम या फिल्म में मराठी भाषा, संस्कृति और अस्मिता का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। राज ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी का यह रुख उनके समर्थकों के बीच काफी मजबूत है।
इस मुद्दे ने मनोरंजन और राजनीति के बीच की खाई को भी उजागर किया है। कॉमेडी और हास्य के क्षेत्र में कलाकार स्वतंत्रता की उम्मीद करते हैं, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक समूहों के लिए यह स्थानीय पहचान और अस्मिता के सवाल उठाते हैं। मुंबई जैसे बड़े और ऐतिहासिक शहर के नाम पर विवाद इस बात का संकेत है कि कलाकारों और मनोरंजन उद्योग को स्थानीय संवेदनाओं का भी सम्मान करना आवश्यक है।
कुल मिलाकर, यह विवाद केवल मुंबई के नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे महाराष्ट्र और मराठी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मनसे की चेतावनी के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कपिल शर्मा और उनके शो के निर्माता इस पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं और भविष्य में इसे कैसे संबोधित किया जाएगा।